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UP राज्यसभा चुनाव: बसपा बिगाड़ सकती है गणित…बीजेपी की मुसीबत बढ़ी

उत्तर प्रदेश की रिक्त हो रही 10 राज्यसभा सीटों के लिए नामांकन शुरू हो गया है. बीजेपी में उम्मीदवारों के चयन के लिए मंथन तेज है. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपना उम्मीदवार उतारने के फैसले से निर्विरोध निर्वाचन की संभावना खत्म होती दिख रही है. पार्टी ने अपने नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव मैदान में उतारा है. बसपा की इस चाल से बीजेपी के नौ सदस्यों के जीतने की राह जहां कठिन होगी वहीं, सपा और कांग्रेस के सामने भी पशोपेश के हालत हो सकते हैं.

अब भाजपा की 9 सीटों पर जीत का तिकड़म गड़बड़ा गया है, हालांकि सीटों की गिनती के हिसाब से मामला बेहद उलझ गया है. फिलहाल मौजूदा हालात में भाजपा के आठ और सपा के एक प्रत्याशी की जीत तय है, लेकिन भाजपा का एक और सदस्य तब ही जीत सकता है जब विपक्ष साझा प्रत्याशी न खड़ा करे. क्योंकि न ही बसपा और न ही कांग्रेस खुद के दम पर अपना प्रत्याशी जिता सकती है. विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के आधार पर जीत के लिए किसी भी प्रत्याशी को 36 वोटों की ज़रूरत होगी. भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उसके आठ उम्मीदवारों की जीत तय है. और बसपा के उम्मीदवार उतारने का फैसला किए जाने के बाद से ऊहापोह की स्थिति बन गई है.

बसपा ने कैसे बढ़ाई मुश्किलें
समाजवादी पार्टी की तरफ से एक उम्मीदवार प्रो. रामगोपाल यादव के नामांकन के बाद उसके पास 10 वोट अतिरिक्त बचते है, लेकिन सपा ने दूसरे प्रत्याशी का एलान न करके ये स्पष्ट कर दिया कि उसके पास दस वोट अतिरिक्त होने के बावजूद वह किसी और को खड़ाकर करने वाली नही है. सपा के केवल एक उम्मीदवार के पर्चा भरने से भाजपा को निर्विरोध निर्वाचन की उम्मीद थी. सपा के एक नामांकन से भाजपा को ये लग रहा था कि पर्याप्त वोट न मिलने से विपक्षी दलों का वोट बंट जाएगा और ऐसे में भाजपा अपने 9 सदस्यों को राज्यसभा की दहलीज तक पहुंचाने में कामयाब हो जाएगी. लेकिन बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव लड़ाकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं.

बसपा ने पार्टी ने बिहार के प्रभारी रामजी गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है और वो 26 अक्टूबर को अपना नामांकन भरेंगे. विधानसभा में बसपा के पास 18 विधायक हैं. पार्टी को एक सीट निकालने के लिए करीब 39 प्रतिशत मतों की जरूरत होगी. इससे साफ है कि उसे दूसरे दलों से सहयोग लेना पड़ेगा. अब कौन से दल के लोग उनके प्रत्याशी के लिए वोटिंग करेंगे ये देखना दिलचस्प होगा.

बता दें कि बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या वैसे तो 18 हैं, लेकिन इनमें भी मुख्तार अंसारी, अनिल सिंह समेत कई ऐसे विधायक है जिनके वोट कहीं और खिसकने के आसार है. फिर भी मायावती ने प्रत्याशी उतारकर, भाजपा के नौवें उम्मीदवार के निर्विरोध निर्वाचित होने की संभावना कर दिया. खत्म कर बड़ा संदेश देना चाह रही हैं. बसपा नेताओं का कहना है कि मायावती को कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दल भाजपा की बी-टीम कहतें हैं. जिसको रोका जाना बेहद ज़रूरी है..

बीजेपी के बागियों पर बसपा की नजर
मायावती का निशाना साफ है कि अगर बसपा प्रत्याशी को सपा और कांग्रेस समर्थन नहीं देंगी तो पार्टी को पलटवार करने का मौका मिलेगा. और साथ ही साथ जो विधायक बीजेपी से नाराज है उनके लिए बसपा के दिल मे सॉफ्ट कॉर्नर है.