कुछ समय पहले एक इंग्लिश नेशनल डेली में आईपीएल फिक्सिंग की जांच करने वाली जस्टिस मुकुल मुद्गल की टीम के एक सदस्य और पुलिस अफसर बीबी मिश्रा ने दावा किया कि वर्ष 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का एक सीनियर स्टार खिलाड़ी लगातार बुकीज के संपर्क में रहता था. दोनों की बातचीत को टेप भी किया गया, लेकिन वॉयस सैंपल नहीं होने से जांच आगे नहीं बढ़ पाई. इस बात ने पांच साल पहले आईपीएल की स्पॉट फिक्सिंग मामले को ताजा कर दिया.
क्या है स्पाट फिक्सिंग?
पहले पूरे के पूरे मैच यानी नतीजे फिक्स किए जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब स्पाट और फैंसी फिक्सिंग से ही काम चल जाता है. पूर्वी दिल्ली के एक बुकी के अनुसार, अब मैच फिक्स करने की जरूरत नहीं, स्पॉट फिक्सिंग से ही भरपूर कमाई हो जाती है. स्पॉट फिक्सिंग का अर्थ है मैच के किसी खास हिस्से को फिक्स कर देना. वहीं पंजाब में फैंसी फिक्सिंग काफी लोकप्रिय है. इसमें मैच की एक-एक गेंद पर कितने रन बनेंगे, कौन सा बैट्समैन कितने रन बनाएगा, पूरी पारी में कितने रन बनेंगे, इन सब पर सट्टा लगता है.
कैसे चलता है सट्टेबाजी का धंधा
संचार के नए साधनों के आने के साथ ही सट्टेबाजी और मैच फिक्सिंग इतना बड़ा धंधा हो गया है कि सोचा नहीं जा सकता. इसका नेटवर्क बुहत ही व्यापक है. कराची, जोहानसबर्ग और लंदन जैसे शहर इसके प्रमुख गढ़ हैं. 80 और 90 के दशक में जब वन-डे क्रिकेट के आयोजन शारजाह में शुरू हुए तो इसे और पंख लगे
रेट कैसे तय होते हैं
भारत में क्रिकेट की जो सट्टेबाजी होती है, वो अवैध है. इसके रेट दुबई या पाकिस्तान में तय होते हैं. वहां से रेट की जानकारी भारतीय उपमहाद्वीप के सटोरियों और अन्य जगहों पर धंधे से जुड़े लोगों को पहुंचाई जाती है. ये रेट सबसे पहले मुंबई पहुंचते हैं. फिर वहां से बड़े बुकिज़ और फिर वहां से छोटे बुकिज़ के पास पहुंचते हैं. अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर उसका रेट 80-83 आता है, तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाने पर एक लाख रुपए मिलेंगे. दूसरी टीम पर 83 हजार लगाने पर एक लाख जीत सकते हैं. लेकिन जिस टीम पर सट्टा लगाया है, वो अगर हार गई तो लगाया गया पूरा पैसा डूब जाएगा. मैच आगे बढ़ने के साथ टीमों के रेट भी बदलते रहते हैं.
आईपीएल के हर मैच पर कितनी सट्टेबाजी
चार साल पहले माना गया था कि भारत में हर बड़े क्रिकेट मैच पर करीब तीन बिलियन डालर (तीन सौ करोड़ रुपए) का कारोबार होता है. ऐसा ही हाल पाकिस्तान का है. आईपीएल जैसी लीग अपने चरित्र और खेल के फार्मेट के कारण सट्टेबाजों और फिक्सरों के लिए मुफीद बन चुका है. अंदाज है कि हर आईपीएल मैच पर करीब डेढ़ बिलियन डालर (डेढ़ सौ करोड़ रुपए) की सट्टेबाजी होती है. वहीं पाकिस्तान की पाकिस्तान सुपर लीग में भी सट्टेबाजों का जाल कसा हुआ बताया जा रहा है.
सट्टे की अनिवार्य शर्तें
क्रिकेट मैच में सट्टा आंख बंद करके नहीं लगाया जाता. बुकीज और पंटर दोनों भाव लगाने व खोलने से पहले यह भी देखते हैं कि मैच किन दो टीमों के बीच खेला जाएगा. यही नहीं मैच किस जगह खेला जाएगा, पिच किस प्रकार की होगी, वहां का तापमान कैसा होगा तथा टीम में कौन-कौन खिलाड़ी होंगे. ये सब जानने के बाद किसी मैच में सट्टा भाव तय होता है.
फिक्सिंग से अलग है सट्टेबाजी
कई लोगों को लगता है कि सट्टेबाजी का मैच फिक्सिंग से गहरा ताल्लुक होता है, लेकिन सट्टेबाजी व फिक्सिंग दो अलग बातें हैं.
खेलों में अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग का कारोबार
करीब पांच साल पहले सीबीआई के एक सेमिनार में वो तीन नाम उजागर किए गए थे. जो एशिया में बैठकर पूरी दुनिया में खेलों की अवैध सट्टेबाजी और फिक्सिंग को अंजाम देते हैं. ये वो लोग हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा धंधा खड़ा किया. ये इतने सुव्यवस्थित तरीके से चलता है कि सोचा भी नहीं सकते. खेलों में सट्टेबाजी और जुए का बड़ा कारोबार भी संगठित और संरचनात्मक ढंग से एशिया में जड़ें जमा चुका है. वर्ष 2014 में खेलों में सट्टेबाजी 38 लाख डॉलर की मानी गई थी.