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किसान आंदोलन के सामने झुकी मोदी सरकार, बुलाई बैठक

किसान आंदोलन को खत्म करने के प्रयास में जुटी केंद्र सरकार की किसान नेताओं के साथ बातचीत शुरू हो गई है। सरकार की और से कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षमंत्री राजनाथ सिंह की किसान नेताओं संग प्रगति मैदान के पास विज्ञान भवन में बैठक हो रही है। बैठक में किसान संगठनों के 35 प्रतिनिधियों को बुलाया गया है।

इससे पहले किसान नेताओं ने केंद्र की अपील को दरकिनार करते हुए सोमवार को कहा कि वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘निर्णायक लड़ाई’ के लिए दिल्ली आए हैं और मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

प्रधानमंत्री ने विपक्ष पर किया हमला
वहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानूनों का बचाव किया और विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि वे सरकार के फैसले पर भ्रम फैला रहे हैं। उधर, विपक्षी दलों ने सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है और कहा है कि केंद्र को किसानों के ‘लोकतांत्रिक संघर्ष का सम्मान’ करना चाहिए तथा संबंधित कानूनों को निरस्त करना चाहिए। प्रदर्शनकारी किसानों के एक प्रतिनिधि ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा।

‘मांगों से नहीं होगा समझौता’
भारतीय किसान यूनियन (दकौंडा) के महासचिव जगमोहन सिंह ने कहा, ‘हम अपनी मांगों से समझौता नहीं कर सकते।’’ उन्होंने कहा कि यदि सत्तारूढ़ पार्टी उनकी चिंता पर विचार नहीं करती तो उसे ‘भारी कीमत’ चुकानी होगी। किसानों के प्रतिनिधि ने कहा, ‘हम यहां निर्णायक लड़ाई के लिए आए हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हम दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे और यहां से अपनी रणनीति बनाएंगे। हम प्रधानमंत्री से यह कहने के लिए दिल्ली आए हैं कि वह किसानों के ‘मन की बात’ सुनें, अन्यथा सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी को भारी कीमत चुकानी होगी।’

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31 मामले दर्ज किए गए
वहीं, भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आंदोलन को ‘‘दबाने’’ के लिए अब तक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लगभग 31 मामले दर्ज किए गए हैं। चढूनी ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं, किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने दावा किया कि नए कृषि कानूनों से देश के कृषि व्यवसाय पर कॉरपोरेट घरानों का एकाधिकार हो जाएगा।