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करहल: अखिलेश यादव के खिलाफ चुनावी समर में एसपी सिंह बघेल, जानें ग्राउंड लेवल पर कैसी है स्थिति

उतर प्रदेश मे दो चरणों का चुनाव हो चुके हैं।तीसरे चरण का प्रचार जोरो पर हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर के प्रियंका गांधी,अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ और अमित शाह सहित दर्जनो नेता यूपी में राजनीतिक समीकरण बनाने की कवायद में जुटे हुए हैं।किसी को सरकार बनानी तो किसी को सरकार बचानी हैं तो कोई अपनी जमीन बना रहा हैं तो कोई प्रचंड जनादेश का दंभ भर रहा हैं।

भैया चुनाव हैं जबतक चुनाव न हो जाए और परिणाम सामने न आ जाए सब अपनी अपनी जीत के दावे के साथ हैं ।दो चरणों के मतदान के बाद से ही नेताओं की धुकधुकी बढ़ गई हैं और तीसरे चरण के सीटों पर जीत के समीकरण बनाने में दिन रात एक किए हुए हैं ।तीसरे चरण में जिन सीटों पर मतदान होना हैं उसमें से एक सीट मैनपुरी का करहल विधानसभा हैं।करहल सीट पर तापमान उफान मार रहा हैं इसका कारण है कि यहां से समाजवादी पार्टी के सर्वेसवा अखिलेश यादव सायकिल पर सवार हैं और पुरे प्रदेश में नयी हवा है, नयी सपा है की बात कर रहें हैं ।

यूँ तो ये पुरा मैनपुरी सपा का गढ रहा हैं और करहल विधानसभा सीट पर भी सपा का समीकरण मजबूत दिखाई देता है ।इसके ताक़त का इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि 1993 से लेकर 2017 तक का हर चुनाव सपा ने यहां से जीता है ।केवल 2002 को छोड़कर।

लगभग चार लाख मतदाताओं में डेढ़ लाख मतदाता यादव समुदाय से हैं जो सपा का कोर वोट बैंक माना जाता है इसी को देखते हुए पार्टी ने यहां से अपने नेता अखिलेश यादव को चुनावी मैदान में उतारा है।वही भारतीय जनता पार्टी ने करहल से मोदी कैबिनेट के मंत्री और कभी मुलायम सिंह यादव के सहयोगी रहें एसपी सिंह बघेल को करहल से चुनाव लड़ा है।बघेल पहलें भी मुलायम परिवार के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।

मोदी सरकार के मंत्री एसपी सिंह बघेल करहल के मतदाताओं से इतिहास बदलने का दावा कर रहें हैं और कह रहें कि इस बार करहल का महासंग्राम ऐतिहासिक होगा।भाजपा के केंद्र से लेकर के राज्य तक के तमाम नेता अखिलेश को उनके घर में घेरने में जुटे हुए हैं।बात कांग्रेस की करे तो पार्टी ने यहां से किसी भी नेता को टिकट नहीं थमाया और अपनी तरफ से अखिलेश यादव को पहले ही वाक ओवर दे दिया।

करहल मायावती की बसपा भी जीत की रणनीतियां बना रही हैं।कुल मिलाकर इस हाई-प्रोफाइल सीट पर राजनीतिक महासंग्राम दिलचस्प होना तय हैं।अगले बीस फरवरी को यहां मतदान होना हैं।राजनीतिक तपस तेज हैं।जीत हार का आकलन हो रहा हैं।लेकिन 10 मार्च वो दिन जो उतरप्रदेश और करहल विधानसभा सीट का भविष्य तय करेगा।