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रायबरेली सदर विधानसभा सीट पर 1993 से एक ही परिवार का रहा है दबदबा, जानिए कौन है ये परिवार

उत्तर प्रदेश की रायबरेली सदर विधानसभा सीट पर तीन दशक से एक ही परिवार का कब्जा रहा है। भले ही वह कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में हो, या पीस पार्टी, भाजपा के टिकट पर हो या निर्दलीय उम्मीवार के तौर पर। यह विधानसभा सीट कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है।

यह परिवार है पांच बार के विधायक, दिवंगत अखिलेश सिंह और उनकी बेटी अदिति सिंह। इन दोनों का कांग्रेस और गांधी परिवार से बेहतर रिश्ता रहा है। कांग्रेस के हाईप्रोफाइल गढ़ की यह सीट अंतिम बार इस परिवार के बाहर 1991 में गई थी, जब जनता दल और जनता पार्टी शीर्ष दावेदार थे और भारत में अधिक उदार अर्थव्यवस्था शुरू नहीं हुई थी।

23 फरवरी को इस विधानसभा सीट के लिए होने वाले चुनाव से एक सप्ताह पहले ही अदिति सिंह (34) ने सोशल मीडिया पर अपने पिता का एक छोटा वृत्तचित्र जारी करते हुए मतदाताओं से भावनात्मक अपील की थी। उन्होंने रायबरेली में अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए एक बार फिर विजयश्री दिलाने की अपील की।

वे 2017 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुई थीं, लेकिन 2021 में कांग्रेस पर हमले करते हुए भाजपा में शामिल हो गई थीं। दोनों परिवारों के बीच इंदिरा गांधी के जमाने से ही पारिवारिक रिश्ते थे।अदिति सिंह इस बार विधानसभा चुनाव में अपने पिता की ‘समृद्ध विरासत’ को केंद्र में रखकर चुनाव प्रचार कर रही हैं। अदिति के पिता अखिलेश सिंह की मृत्यु 2019 में कैंसर के कारण हो गई थी।

समाजवादी पार्टी ने इस सीट से जमीनी कार्यकर्ता आरपी यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। सपा ने अखिलेश सिंह के कार्यकाल को ‘दागी और अपराध में लिप्त विरासत’ करार दिया और दावा किया कि वह मौजूदा चुनाव में रायबरेली सदर सीट को इस परिवार के चंगुल से छीन लेगी। उधर, कांग्रेस ने भी अदिति सिंह को धोखेबाज करार देते हुए उनके खिलाफ चौतरफा अभियान शुरू कर दिया है।