समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव चुनावी जनसभा को संबोधित करने बलरामपुर आए हुए थे.अखिलेश के आने से न सिर्फ जिले के चारों सीटों के प्रत्याशी बल्कि सभी समाजवादी कार्यकर्ता भी उत्साह में थे.सभी की उम्मीद थी अखिलेश आएंगे और पूरा बलरामपुर सपा मय हो जाएगा.अखिलेश आये भी तगड़ा भाषण दिया.अपने प्रत्यशियों को जिताने के लिए जनता से सायकल पर मोहर लगाने की अपील भी की,लेकिन प्रत्यशियों को विधायक बनाने और सपा सरकार बनाने की अपील करते करते अखिलेश की जुबान से कुछ ऐसे शब्द निकले जिससे बलरामपुर की तुलसीपुर विधानसभा में गहमागहमी मच गई.
दरअसल अखिलेश सभी सीटों के प्रत्यशियों का नाम ले रहे थे,लेकिन जब तुलसीपुर विधानसभा का नम्बर आया तो अखिलेश बोले कि कुछ ऐसी परिस्थितियां बन गई जो अपने पुराने विधायक को चुनाव लड़ाना पड़ रहा है.फिर भी सभी लोग उन्हें साथ रहखर जिताइये ताकि सपा सरकार बन जाए.
बलरामपुर के सियासी पंडित अखिलेश के इस बयान के कई एंगल निकाल रहे है.कुछ तो कह रहे है कि ये अखिलेश का बचकाना बयान है,तो कुछ लोग इसे अखिलेश का मास्टर स्ट्रोक बता रहे है,हालांकि अखिलेश के सामने कौन सी परिस्थिति थी कि उन्हें मजबूरी में पुराने विधायक मशहुद खां को टिकट देना पड़ा.अखिलेश मशहूद नहीं तो किसे सपा का टिकट देना चाहते थे.
दरअसल अखिलेश यादव तुलसीपुर विधानसभा से पूर्व सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेबा रिजवान को टिकट देना चाहते थे.सपा महिला सभा की राष्ट्रीय सचिव जेबा रिजवान क्षेत्र में मेहनत भी कर रही थी,लेकिन चुनाव से ठीक पहले तुलसीपुर नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष फिरोज पप्पू हत्याकांड हो जाता है.हत्याकांड का इल्जाम पूर्व सांसद रिजवान जहीर, खुद उनकी बेटी जेबा रिजवान और उनके पति रमीज पर लगा.पुलिस ने तीनों को जेल में डाल दिया.
जेबा पर हत्या का इल्जाम लगने से अखिलेश को चाहकर भी उनसे दूरी बनानी पड़ी और न चाहते हुये टिकट दो बार के विधायक मशहूद खां को देना पड़ा,हालांकि सपा से टिक ट ना मिलने पर जेबा रिजवान जेल से ही निर्दलीय चुनाव लड़ रही है.जेबा के समर्थन में उनके पिता रिजवान जहीर का तीन दशकों से जुड़ा कैडर वोट है.खुद रिजवान जहीर भी 1989 में पहली मर्तबा निर्दलीय विधायक बने थे.
जिसके चलते जेबा को लेकर लोगों में जुनून बना है,और जेबा का समर्थन सपा के लिए सरदर्द बना है,.ऐसे मे माना जा रहा है कि अखिलेश यादव इस बयान के जरिये जेबा रिजवान के समर्थकों से कहना चाह रहे थे कि जेबा को ही टिकट मिलता लेकिन मजबूरी में नहीं दे पाया.जेबा का सम्मान है लेकिन सपा को जिताओ ताकि सपा सरकार बने,हालांकि अखिलेश के बयान से मशहूद खां के साथ साथ उनके समर्थक भी ममयूस है,और अखिलेश के बयान का सीधा फायदा जेबा रिजवान को मिल रहा है….हो सकता है कि सपा का कैडर वोट भी तुलसीपुर में सायकल की जगह कप प्लेट की बटन दबाए,और मशहूद खां सिर्फ सपा की मजबूरी बनकर सायकल चलाते रहे.
तुलसीपुर विधानसभा क्षेत्र में देवीपाटन शक्तिपीठ होने के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दूसरा गृह जनपद भी माना जाता है.इसलिए सियासी पंडितों की नज़र इस विधानसभा सीट पर लगातार अटकी हुई है.भारतीय जनता पार्टी से निवर्तमान विधायक कैलाश नाथ शुक्ला भाजपा के प्रत्यशी है.कैलाश नाथ शुक्ला अपनी सीधी लड़ाई सपा के प्रत्यशी से नहीं जेबा रिजवान से मान रहे है.ऐसे में जेल में बंद जेबा कुछ सियासी अजूबा जरूर कर सकती है.