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EVM से कैसे गिने जाते हैं वोट? कितना लगता है वक्त? जानें मतगणना की पूरी प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कल यानी गुरुवार 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी. यूपी चुनाव में बीजेपी और सपा अपनी प्रचंड जीत का दावा कर रही हैं. अब किसके दावे में कितना दम है यह तो गुरुवार सुबह साफ हो जाएगा, जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) से वोटों की गिनती शुरू होगी. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस ईवीएम से आप वोट देते हैं, उसकी गिनती कैसे होती है? तो आज हम आपको वोटों की गिनती से जुड़ी पूरी प्रक्रिया के बारे में बता रहे हैं…

मतगणना केंद्र पर चुनाव अधिकारी, मतगणनाकर्मी, प्रत्याशी और उनके एजेंट, ड्यूटी पर तैनात सुरक्षाकर्मी और अन्य अधिकारिों की मौजूदगी में वोटों की गिनती होती है. सबसे पहले यहां पोस्टल बैलट की गिनती होती है और फिर उसके करीब 30 मिनट बाद स्ट्रॉन्ग रूम से कड़ी सुरक्षा के बीच ईवीएम लाए जाते हैं. ईवीएम को खोले जाने से पहले मतगणनाकर्मी और प्रत्याशी के एजेंट उसकी जांच करते हैं. जब सभी लोग ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हो जाते हैं तो वोटों की गिनती शुरू की जाती और इस पूरी प्रक्रिया की कैमरे से वीडियो रिकॉर्डिंग होती है.

ईवीएम से वोटों की गिनती कर रहे अधिकारियों और चुनावी एजेंट के बीच कंटीली तार रहती है, जिससे कि एजेंट उन मशीनों से दूर ही रहें. पूरी काउंटिंग राउंड्स यानी चरणों में होती है, जहां हर राउंड में 14 EVM खोली जाती हैं. आमतौर पर हर बूथ पर एक ईवीएम होती है और एक ईवीएम को करीब 1200 वोटर के लिए बनाया जाता है. औसतन हर बूथ पर करीब 750 से 850 वोट पड़ते हैं. इस हिसाब से हर राउंड में करीब 10 हजार से लेकर 12 हजार वोट गिने जाते हैं. इसी संख्या के आधार पर चुनाव आयोग ने हर राउंड में 14 EVM के वोट गिनने की नीति बनाई है.

ऐसे में काउंटिंग हॉल में एक बाड़बंदी के भीतर 14-14 टेबल लगाए जाते हैं और हर टेबल पर एक EVM के वोट गिने जाते हैं. चुनाव अधिकारी इसके बाद मशीन का रुख मोड़ता है और रिजल्ट का बटन दबाता है, ताकि यह जानकारी मिल सके कि किसी उम्मीदवार को कितने वोट मिले हैं. इसके बाद यह जानकारी फॉर्म 17सी में डाली जाती है. इन फॉर्म्स पर उम्मीदवारों के चुनावी एजेंट दस्तखत करते हैं और फिर उसे निर्वाचन अधिकारी को सौंपते हैं. इसके बाद इसके नतीजे एक ब्लैक-वाइट बोर्ड पर लिखे जाते हैं और काउंटिंग एरिया के बाहर भी बताए जाते हैं. इसी को हम रुझान कहते हैं.

एक चरण की गिनती पूरी होने के बाद चुनाव अधिकारी 2 मिनट का इंतजार करता है, जिससे कि किसी उम्मीदवार को कोई आपत्ति हो तो वो दर्ज करा सके. उम्मीदवारों की आपत्ती के बाद यह रिटर्निंग ऑफिसर पर निर्भर करता है कि वो फिर से वोटों की गिनती करवाता है या फिर उस उम्मीदवार को आश्वस्त करता है कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. हर राउंड के बाद रिजल्ट के बारे में रिटर्निंग ऑफिसर राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को इसकी सूचना देता है. यही सिलसिला तब तक जारी रहता है, जब तक कि अंतिम नतीजे नहीं आ जाते.