Breaking News

UP Election Result :अपने गढ़ में भी बसपा को मिली हार, अंबेडकरनगर ने भी छोड़ दिया मायावती का साथ

किसी समय जिन जिलों को मजबूत गढ़ माना जाता था इस चुनाव में बसपा वहां भी भरभरा गई। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा की आंधी में भी बसपा 19 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। सबसे अधिक अंबेडकरनगर जिले में तीन सीटें जीतने में वह कामयाब रही थी, लेकिन इस चुनाव में बसपा बचा आखिरी किला भी नहीं बचा पाई।

मायावती पश्चिमी यूपी से आती हैं। आगरा, मुफ्फरनगर और बिजनौर जैसे जिलों में किसी समय बसपा सर्वाधिक सीटें जीतती रही। यही वजह रही कि वर्ष 2007 के चुनाव में बसपा अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में कायमयाब रही, लेकिन वर्ष 2012 के बाद बसपा का जो राजनीतिक पतन शुरू हुआ वह रुका नहीं। बसपा इस बार भी वर्ष 2007 की तर्ज पर सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले पर मैदान में उतरी। चुनिंदा सीटों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर सीटों पर उम्मीदवार बदल दिए, लेकिन यह जतन भी काम न आया और वह पूरी तरह से फेल साबित हुई।

बसपा को सबसे अधिक झटका तो अंबेडकरनगर में लगा है। इस जिले में कुल पांच विधानसभा सीटें हैं। पिछले चुनाव में बसपा कटेहरी, जलालपुर और अकबरपुर जीतने में कामयाब रही। कटेहरी से चुनाव जीतने वाले लालजी वर्मा और अकबरपुर से चुनाव जीतने वाले रामअचल राजभर को बसपा से निकाल दिया गया। दोनों नेता काफी दिनों तक बसपा में वापसी का इंतजार करते रहे, लेकिन बात न बनने पर उन्होंने सपा का दामन थाम लिया।

पिछले चुनाव में जलालपुर सीट से चुनाव जीतने वाले रितेश पांडेय इस्तीफा देकर वर्ष 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते। इस चुनाव में उनके पिता व पूर्व सांसद राकेश पांडेय सपा के टिकट से मैदान में उतरे। बसपा ने इसके चलते यहां नए पर दांव लगाया, पर वह कामयाब न हो पाया।

आगरा में एत्मादपुर, आगरा ग्रामीण, आगरा कैंट, फतेहपुर सीकरी व खेरागढ़ में बसपा चुनाव पहले जीतती रही है। मुजफ्फरनगर की चरथावल, पुरकाजी बिजनौर की बिजनौर, चांदपुर, नजीबाबाद विधानसभा सीटें बसपा जीतती रही है, लेकिन इस चुनाव में बसपा बुरी तरह से भरभराकर गिरी है।