संविधान निर्माता और भारत के पहले कानून मंत्री बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का आज जन्मदिन है। 131 साल पहले मध्य प्रदेश के इंदौर के पास महू में 14 अप्रैल 1891 को दलित परिवार में भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था। आज भीमराव अंबेडकर जयंती पर महू में मध्य प्रदेश सरकार ने विशेष आयोजन किया है। खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान महू पहुंचे हैं।
देशभर में भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है। लोग भीमराव अंबेडकर को देश के निर्माण में उनके योगदान और पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए उनके संघर्ष को कर रहे हैं। आइए इस मौके पर जानते हैं कि भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें।
डॉ. अंबेडकर भीमराव का संघर्ष –
डॉ. अंबेडकर भीमराव का परिवार मध्य प्रदेश की हिंदू महार जाति से संबंध रखता है। यह जाति उस समय अछूत कही जाती थी। अपनी जाति के कारण डॉ. अंबेडकर को भी सामाजिक छुआछूत का सामना करना पड़ा था। – 1950 के दशक में डॉ. भीमराव अंबेडकर बौद्ध धर्म से प्रभावित हुए और 14 अक्टूबर, 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में अपने समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म को अपना लिया और 22 प्रतिज्ञाएं लीं थी।
– बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत को गुलामी से भी बदतर कहा था। इसके खिलाफ अनेक सार्वजनिक आंदलोन और अछूतों को हर जगह पर प्रवेश दिलाने के लिए संघर्ष किया था।
-डॉ. अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। विधिशास्त्र, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में रिसर्च भी किया।
– डॉ. अंबेडकर ने संविधान में दलितों को शिक्षित और अपने अधिकारों को लड़ने के लिए आग्रह किया। सभी को समान अधिकार देते हुए हिंदू ब्राम्हणों के एकाधिकार को समाप्त किया।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का रानजीतिक सफर –
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का राजनीतिक कैरियर 1926 में शुरू हुआ और 1956 तक वो राजनीतिक क्षेत्र में विभिन्न पदों पर रहें। 1936 तक बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य थे।
– 1936 में बीआर अंबेडकर ने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की, जो 1937 में केंद्रीय विधान सभा चुनावों में 13 सीटें जीती। डॉ. अंबेडकर को बॉम्बे विधान सभा के विधायक के रूप में चुना गया था। वह 1942 तक विधानसभा के सदस्य रहे। बॉम्बे विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किए।
– डॉ. अंबेडकर ने 15 मई 1936 को अपनी पुस्तक ‘एनीहिलेशन ऑफ कास्ट’ (जाति प्रथा का अंत) प्रकाशित की, जो उन्होंने न्यूयॉर्क में लिखे एक शोधपत्र के आधार पर लिखी थी। पुस्तक में बाबा साहब अंबेडकर ने हिंदू धार्मिक नेताओं और जाति व्यवस्था की कड़ी निंदा की।
– डॉ. अंबेडकर ने अछूत समुदाय के लोगों को गांधी द्वारा रचित शब्द हरिजन पुकारने के कांग्रेस के फैसले की कडी निंदा की।
– 1955 के बीबीसी साक्षात्कार के एक साक्षात्कार में उन्होंने गांधी पर उनके गुजराती भाषा के पत्रों में जाति व्यवस्था का समर्थन करना तथा अंग्रेजी भाषा पत्रों में जाति व्यवस्था का विरोध करने का आरोप लगाया.
महू में बाबा साहेब अम्बेडकर का स्मारक मध्य प्रदेश में महू में बाबा साहेब अम्बेडकर का स्मारक है। महू में सरकार ने बाबा साहेब की जन्म स्थली पर भव्य स्मारक का निर्माण करवाया। स्मारक का उद्घाटन अंबेडकर की 100वीं जयंती 14 अप्रैल 1991 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा ने किया।
बाबा साहेब अम्बेडकर का परिवार बता दें कि बाबा साहेब अम्बेडकर रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं व अंतिम संतान थे। इनका परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूूल का था और वो महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गाँव का निवासी था। बाबा साहेब ने दो शादियां की थी। एक सविता अंबेडकर व दूसरी रमाबाई अंबेडकर से। 6 दिसम्बर 1956 को बाबा साहेब ने दिल्ली में अंतिम सांस ली।