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भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग के सचिव आरके चतुर्वेदी ने की यह घोषणा….

गोरखपुर जिले में करीब आठ हजार करोड़ रुपये की लागत से स्थापित खाद कारखाना अब स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘वोकल फार लोकल’ की सोच को आगे बढ़ाते हुए जरूरत के उत्पाद खरीदने में अब खाद कारखाना स्थानीय औद्योगिक इकाइयों को ही प्राथमिकता देगा। खाद कारखाना का निरीक्षण करने दो दिवसीय दौरे पर आए भारत सरकार के रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग के सचिव आरके चतुर्वेदी इसके लिए निविदा की शर्तों को इसी के अनुसार परिवर्तित करने का निर्देश दिया है। जल्द ही इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया जाएगा। सचिव की इस घोषणा के बाद बोरा बनाने वाली गोरखपुर की चार औद्योगिक इकाइयों को आसानी से आर्डर मिल सकेगा।

खाद कारखाना स्थापित होने के बाद इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि स्थानीय इकाइयों से उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। खाद कारखाना में बड़े पैमाने पर बोरे का उपयोग किया जाता है। बोरा आपूर्ति के लिए निकाली गई निविदा में शर्तें अनुकूल न होने के कारण यहां की तीन इकाइयां प्रतिस्पर्धा में भाग ही नहीं ले पाती थीं। प्रतिभाग करने वाली एक इकाई भी आर्डर पाने में नाकामयाब रही थी।

खाद कारखाना में उत्पादन का निरीक्षण करने आए सचिव ने मंडलायुक्त रवि कुमार एनजी, जिलाधिकारी विजय किरन आनंद के साथ बरगदवा में बोरा बनाने वाली दो औद्योगिक इकाइयों का भ्रमण भी किया था। चैंबर आफ इंडस्ट्रीज की ओर से उन्हें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने की मांग की गई थी।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए सचिव आरके चतुर्वेदी ने घोषणा की कि खाद कारखाना में प्रयोग होने वाले बोरे की आपूर्ति में स्थानीय इकाइयों को प्राथमिकता दी जाएगी। प्रबंधन को निर्देश दिया गया है कि इस संबंध में निविदा शर्तों को अनुकूल बनाया जाए। बोरा के अलावा नट, बोल्ट, वाशर जैसी अन्य वस्तुओं की खरीद भी स्थानीय इकाइयों से की जाएगी।

 

उन्होंने बताया कि हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के प्रबंधन को जिला प्रशासन एवं उपायुक्त उद्योग के साथ संपर्क कर कार्ययोजना बनाने को कहा गया है, जिससे यहां नई इकाइयां भी स्थापित हो सकें। सचिव ने बताया कि स्थानीय स्तर पर वाहन, सफाई एवं अन्य कार्यों के लिए भी स्थानीय लोगों को ही रोजगार दिया जाए। पत्रकारवार्ता के दौरान जीडीए के उपाध्यक्ष प्रेमरंजन सिंह, गीडा सीईओ पवन अग्रवाल भी मौजूद रहे।

अक्षय तृतीय से शुरू हुआ वाणिज्यिक उत्पादन: सचिव ने बताया कि खाद कारखाना में उत्पादन को लेकर बीच में कुछ समस्याएं आयी थीं लेकिन उसे दूर कर लिया गया है। इस समय 60 प्रतिशत क्षमता के साथ उत्पादन हो रहा है। अक्षय तृतीया के अवसर पर तीन मई से वाणिज्यिक उत्पादन (कामर्शियल प्रोडक्शन) भी शुरू कर दिया गया है। इस प्लांट से एक साल में 12.7 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। जरूरत पड़ने पर 115 प्रतिशत क्षमता से उत्पादन भी हो सकता है। प्रतिदिन उत्पादन 3850 मीट्रिक टन उत्पादन हो रहा है। प्लांट निर्बाध रूप से चल सके, इस दिशा में प्रयास किया जा रहा है। जून महीने तक शत-प्रतिशत क्षमता से उत्पादन शुरू हो जाएगा।

सबसे पहले पूरी होगी पूर्वांचल के किसानों की मांग: सचिव ने बताया कि खाद कारखाना में होने वाले उत्पादन से सबसे पहले पूर्वांचल के जिलों की मांग पूरी की जाएगी। इसके बाद कहीं और यूरिया भेजी जाएगी। पूर्वांचल के डीलरों के माध्यम से आपूर्ति की जाएगी। 45 किलो की बोरी की कीमत करीब 266 रुपये है जबकि इसे बनाने पर 2200 रुपये की लागत आ रही है। करीब दो हजार रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। खाद कारखाना मेें प्रतिदिन 12 करोड़ रुपये के गैस की खपत हो रही है।

तीनों प्लांट शुरू हो जाने पर विश्व की सबसे बड़ी कंपनी होगी एचयूआरएल: सचिव ने बताया कि झारखंड के सिंदरी एवं बिहार के बरौनी जिले में खाद कारखाना शुरू हो जाने के बाद एचयूआरएल विश्व की सबसे बड़ी कंपनी हो जाएगी, जिसके अंतर्गत एक ही प्रबंधन द्वारा संचालित तीन प्लांट में करीब 38.1 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन हर साल होगा। एचयूआरएल के तहत गोरखपुर में खाद कारखाना संचालित हो रहा है।