गाजियाबाद. हर साल 5 सितंबर को देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इस दिन को डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इनका जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था. इस दिन छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को याद करते हैं. विभिन्न स्कूल और यूनिवर्सिटियों में इस दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
हालांकि, शिक्षक भी कभी स्टूडेंट होते हैं. वे चाहें जिस पद पर हों, वे अपने स्टूडेंट जीवन को कभी नहीं भूलते हैं. हर व्यक्ति के पास अपने स्टूडेंट जीवन से जुड़ी कई कहानियां होती हैं. ऐसे में गाजियाबाद के शिक्षकों ने अपनी स्टूडेंट लाइफ के दिलचस्प किस्से सुनाए हैं.
स्टूडेंट लाइफ से जुड़े कुछ खास किस्सें
‘द इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग इंडिया‘ (H.P. स्टेट सेंटर) के चेयरमैन विश्व मोहन जोशी अपने इंजीनियरिंग हॉस्टल डेज की कहानी साझा करते हैं और वक्त बिताने के दौरान भावुक हो जाते हैं. विश्व मोहन बताते हैं कि ‘आज से 30 साल पहले मेरी स्टूडेंट लाइफ बहुत ही रोमांचक थी. हम बहुत खुराफातें करते थे, कई बार रोड पर घेरा बना लेते थे. आपस में लड़ाई-झगड़े भी होते थे. लेकिन हम किसी को कभी भी हानि नहीं पहुंचाते थे, सब मस्ती में ही होता था. आज चेयरमैन के पद पर रहने के बावजूद भी, वो चीजें याद आती हैं.’ आज की शिक्षा के बदलाव पर विश्व मोहन जोशी ने बताया कि ‘आज की शिक्षा काफी बदल गई है. पहले वैल्यू एजुकेशन पर बहुत ध्यान दिया जाता था, जो आज कम महत्वपूर्ण हो गया है.’ ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस‘ की प्रिंसिपल, शुभ्रा वर्मा, ने बताया कि ‘स्टूडेंट लाइफ बेहद महत्वपूर्ण होती है. यह वो समय होता है जब व्यक्ति अपनी नींव रखता है और बचपन का समय होता है. शिक्षक के रूप में भी, हमारे पास कई खट्टे-मीठे अनुभव होते हैं और कभी-कभी अभिभावकों का सहयोग नहीं मिलता है, जिससे हमें बुरा लगता है. क्योंकि शिक्षक हमेशा अपने छात्रों के भविष्य के लिए समर्पित रहते हैं.’
शिक्षक हमेशा अपने छात्रों के प्रति रहता है समर्पित
माई छोटा स्कूल के डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टर, निखिल पांडे, ने बताया कि ‘ वह जब छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं, तो काफी ऊर्जा मिलती है. अपनी स्टूडेंट लाइफ को याद करते समय हमें वो समय याद आता है जब हम अपने भविष्य के बारे में चिंता करते थे और कुछ समझ नहीं आता था. इससे हम यह सिखते हैं कि हमें किसी भी चीज पर ध्यान देना चाहिए जिस पर हमने ध्यान नहीं दिया था. शालू खेड़ा, जो 35 वर्षों से टीचिंग प्रोफेशन में हैं अपने शिक्षक के रूप में अपने तजुर्बों पर इस प्रकार कहती हैं कि ‘आज मेरे द्वारा पढ़े हुए बच्चे अधिकारी, वकील, डायरेक्टर, एस्ट्रोनॉट, आदि हो रहे हैं. शिक्षक एक ऐसा पेशा है जिसे समाज में बहुत कम पहचान मिलती है, लेकिन वे हमेशा अपने छात्रों और बच्चों के लिए समर्पित रहते हैं.’