मुफ्त इलाज नही मिलता, खास कर गरीब और बेसहारा महिलाओ को। उनसे दवाओं और इंजेक्शन की कीमत वसूल की जाती है। रैबीज का इंजेक्शन तो चार सौ रुपये में बिकता है। अगर किसी के पास पैसा नही है तो वो मर जाए या जिंदा रहे, डॉक्टर साहब की बला से। अगर यकीन न हो तो सुन लीजिए, उत्तर प्रदेश के सरकारी डॉक्टर किस तरह जनता को लूट रहे हैं।
बुजुर्ग महिला मरीज को कुत्ते ने काट लिया, वो महोबा जनपद के दुलारा प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पर रैबीज का इंजेक्शन लगवाने गयी। जहां सरकारी डॉक्टर ने इंजेक्शन और इलाज के एवज मे चार सौ रुपये की डिमांड की। गरीब महिला के पास पैसे नही थे, मगर मरता क्या न करता। महिला ने अपने दामाद को बुलवाया और आप बीती सुनाई। दामाद ने जैसे तैसे चार सौ रुपये की व्यवस्था की। तब जाकर रिश्वतखोर डॉक्टर ने बुजुर्ग महिला को रैबीज का इंजेक्शन और इलाज किया।
बुजुर्ग महिला रिश्वतखोर डॉक्टर का भी नहीं जानती। मगर दुलारा इलाके के मरीज जानते हैं, प्राथमिक स्वास्थ केंद्र का रिश्वतखोर डॉक्टर कौन है। अब सवाल है, आखिर उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के राज में सरकारी अस्पतालों का स्तर कितना गिर चुका है। जहां बुजुर्ग गरीब महिलाओं को भी नहीं बक्शा जा रहा है। उनसे रैबीज इंजेक्शन की कीमत चार सौ रुपये वसूली जा रही है। आपको बता दें कि, रैबीज इंजेक्शन जीवन रक्षक दवाओं की श्रेणी मे आता है।
सरकारी अस्पतालों में मुफ्त रैबीज का इंजेक्शन लगाए जाने की व्यवस्था है। लेकिन महोबा जनपद के दुलारा प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पर चार सौ रुपये में रैबीज इंजेक्शन बेचा जा रहा है। वहीं महोबा जनपद का प्रशासन तमाशा देख रहा है। ये मामला अति संवेदनशील है, रैबीज इंजेक्शन के अभाव में जान भी जा सकती है, या फिर लोगो की जान भी जा रहीं होगी। उम्मीद है उत्तर प्रदेश सरकार मामले को गंभीरता से लेगी और रिश्वत खोर सरकारी डॉक्टर के खिलाफ कार्यवाही करेगी।
nttv भारत के लिए महोबा से धर्मेंद्र कुमार की स्पेशल रिपोर्ट।