गायत्री परिवार आलमबाग में एक दिवसीय दिव्य युवा जागरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। ये आयोजन युवाओं के मार्गदर्शन, बौद्धिक विकास हेतु, शनि मंंदिर परिसर, एलडीए कॉलोनी लखनऊ में आयोजित किया गया। इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रोफेसर बी यादव ने किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि, जो ब्रह्मांड में है वह हमारे शरीर में, यानी पिंड में है। एक ऐसी शक्ति है, जो सारे ब्रह्मांड का संचालक निर्वात रूप से कड़े नियमों के अनुपालन करते हुए कर रही है। इसमे जरा से विचलन से बड़ी उठक हो सकती है। विज्ञान इन्हीं गुण रहस्य को खोजने में लगी है। हमारे मुनियों ने प्रकृति के इन शासक सिद्धांतों नियमों का पालन करते हुए कैसे अपना जीवन निर्वाह करें एवं अपने को उत्कृष्ट बनाएं इसके बारे में बताया एवं गायत्री मंत्र की अपार शक्ति के बारे में बताया।
अगले सत्र में डॉक्टर प्रवीण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, ग्रोथ प्रोग्रेस एवं सक्सेस में अंतर है। उन्होंने कहा कि, ग्रोथ भौतिक सुविधाओं में वृद्धि को अंकित करती है। जबकि प्रोग्रेस भौतिक सुविधाओं में नैतिक मूल्यों के साथ-साथ की गई वृद्धि है। आज मानव जीवन सच्ची सफलता से भटक गए हैं और केवल भौतिक सुविधाओं को ही सफलता मानते हैं। लेकिन सच्ची सफलता के सिद्धांतों के अनुपालन बगैर हम जीवन में कहीं ना कहीं भटकने लगेंगे।
अगले सत्र में डॉक्टर रत्नाकर सरकार ने वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर चर्चा की। अगले वक्त में श्री अरुण कुमार ने मां मंत्र में छिपी हुई वैज्ञानिक शक्तियों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि, शारीरिक बीमारियों को दवाई आदि से दूर किया जा सकता है।
अगले वक्ता श्री प्रशांत शुक्ला ने योग व्यायाम की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि, जैसा तन वैसा मन तत्पश्चात अवधेश अग्निहोत्री ने जीवन में तनाव कैसे कम करें पर चर्चा की एवं श्रीमति सुमित्रा श्रीवास्तव ने अगली पीढ़ी को संस्कारवान सुसंस्कृत बनाने के लिए क्या करें इस पर चर्चा की। कार्यक्रम का समापन प्रोफेसर आर आर सिंह द्वारा विदाई सुरेश एवं प्रमाण पत्र के वितरण के साथ संपन्न हुआ।