Breaking News

हाई कोर्ट का अहम आदेश, युवा अपने सुख के लिए माता-पिता को दुख ना दें

प्रयागराज– इलाहाबाद हाई कोर्ट(Allahabad High court)ने एक आदेश में कहा है कि यह देखकर दुख होता है कि आज के युवा अपने मामूली फायदे के लिए माता-पिता को पर्याप्त भावनात्मक संरक्षण नहीं दे रहे हैं।कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और माता-पिता के संरक्षण के लिए बने कानून में यह प्रावधान है कि सरकार वरिष्ठ नागरिकों के जीवन व संपत्ति की सुरक्षा करें साथ ही कानून में बच्चों के लिए यह भी कर्तव्य है कि वह अपने माता-पिता वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल करें और ऐसा करने में असफल रहने पर माता-पिता अपनी देखभाल के लिए संबंधित जिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र दे सकते हैं उन्हें आवास सहित अन्य सुविधाएं पाने का अधिकार है न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने कानपुर की सुमनलता शुक्ला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा।

जिलाधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारी को सौंप सकते हैं जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा को लेकर बने कानून में यह प्रावधान किया गया कि राज्य सरकार जिलाधिकारी को ऐसे अधिकार और दायित्व दे जो इस एक्ट का पालन करने के लिए आवश्यक हो यहां तक कि जिलाधिकारी किसी अधीनस्थ अधिकारी को यह दायित्व सौप सकता है कोर्ट ने कहा कि एक्ट में कहा गया कि राज सरकार वरिष्ठ नागरिकों के जीवन व संपत्ति की रक्षा के लिए एक समग्र कार्य योजना तैयार करें खंडपीठ ने कहा कि हमारा विचार है कि कानून बनाने वालों ने जो योजना बनाई है वह इस पवित्र उद्देश्य के साथ है कि पारिवारिक मूल्यों के साथ ही बच्चों में ऐसी आदतें विकसित की जाए कि वह अपने माता-पिता की मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति करें और उनके साथ भावनात्मक संबंध बनाए रखें।

माता –पिता को बहू –बेटे से जान का खतरा
सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि याची वृद्ध महिला है उसे अपने बेटे व बहू से जान व संपत्ति का खतरा है उसने अपने संरक्षण के लिए जिलाधिकारी कानपुर नगर को प्रार्थना पत्र दिया था लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया कोर्ट ने जिला अधिकारी कानपुर नगर को याची का प्रार्थना पत्र 6 सप्ताह के भीतर कानून के मुताबिक निस्तारित करने का निर्देश दिया है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *