बिग बाजार में पब्लिक के करोड़ों रूपए फंसे हैं, लेकिन पैसों की वापसी पर संशय बरकरार है। सरकार की तरफ से भी पब्लिक के पैसों की वापसी को लेकर पहल नही की गई है, जिससे बिग बाजार के उपभोक्ता परेशान है। दरअसल बिग बाजार ने प्रॉफिट क्लब बनाकर देश में लाखों मेंबर बनाए थे। सबसे कम की मेंबरशिप दस हजार की थी। बिग बाजार ने दावा किया था दस हजार रुपये की मेंबरशिप पर उनभोक्ता 12 हजार रुपये की खरीददारी कर सकते है।
शर्त थी कि, उपभोक्ता बारह हजार की खरीददारी एकमुश्त नही कर पाएंगा बल्कि 12 महीने में करेगा। यानी हर महीने एक हजार की खरीदारी ही संभव है। मगर उपभोक्ताओं का 12 महीने ख़त्म होता इससे पहले बिग बाजार पर ताला लटक गया और उपभोक्ताओं का पैसा फंस गया।
हालांकि जहां बिग बाजार का शो रूम था, वहीं स्मार्ट बाजार खुला। मीडिया में खबरें आई बिग बाजार को रिलायंस ने खरीद लिया। स्मार्ट बाजार में उपभोक्ता बिग बाजार का प्रॉफिट कार्ड लेकर पहुंचे तो उन्हें समझाया गया कि, डाटा फीड करवा दीजिए, हर महीने पांच सौ रुपए के हिसाब से खरीददारी करवाकर आपके बकाएं का हिसाब चुकता किया जाएगा।
इस तरह सिर्फ लखनऊ में हजारों उपभोक्ताओं ने अपना डाटा फीड कराया। लेकिन साल भर से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। अब स्मार्ट बाजार की तरफ से दो टूक जबाब दिया जाता है कि, अगर बिग बाजार पर आपका पैसा बकाया है, तो स्मार्ट बाजार क्या करें?
सहारा की तर्ज पर बिग बाजार से पैसे दिलवाएं मोदी सरकार। लखनऊ के उपभोक्ताओं ने भी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से न्याय की गुहार लगाई है। उपभोक्ताओं का साफ कहना है जिस तरह सहारा से सरकार उपभोक्ताओं के पैसों की वापसी करवा रही है, वैसे ही बिग बाज़ार से पब्लिक का पैसा वापस दिलाया जाना चाहिए। बिग बाजार ने पब्लिक का सैकड़ों करोड़ रूपया दबा लिया है, जिसकी वापसी नही हो रही है।