भूमि बंटवारे के एक मामले में 37 साल की लड़ाई के बाद कोर्ट का फैसला आया है। पक्षकारों की दूसरी पीढ़ी कोर्ट में मुकदमे की पैरवी कर रही थी। सिविल जज शालीन मिश्रा ने विवादित संपत्ति के बंटवारे का फैसला करते हुए डिग्री तैयार करने का आदेश दिया है।
वादी पक्ष के अधिवक्ता राजेंद्र यादव ने बताया कि, पड़ोसी जिले अमेठी के कटरा राजा हिम्मत सिंह गांव निवासी राम सुंदर ने वर्ष 1986 में कोर्ट में मकान और आबादी के बंटवारे का मुकदमा गंगा, राजाराम, मतई और रामसुख के विरुद्ध दायर किया था। संपत्ति के आधे हिस्से का बंटवारा कराए जाने की मांग की थी। मुकदमे के दौरान प्रतिवादी रामसुख के अलावा अन्य पक्षकारों की मौत हो गई। इसके बाद वादी रामसुंदर के पुत्र रामचंद्र आदि प्रतिवादी गंगा के पुत्र राम शंकर आदि, राजाराम के पुत्र चंद्र देव आदि और मतई के उत्तराधिकारी रामकृष्ण आदि पक्षकार बने।
राजेंद्र यादव ने बताया कि मकान और आबादी संपत्ति का बैनामा बाबूराम और दातादीन ने 31 मार्च 1956 को लिया था। बाद में दोनों पक्षों में बंटवारे के विवाद में वर्ष 1986 में मुकदमा दायर हुआ। कोर्ट ने 37 साल तक चले मुकदमे में वादी और प्रतिवादी पक्ष से पेश गवाहों तथा अधिवक्ताओं की दलीलों के आधार पर मुकदमे का फैसला करते हुए प्रारंभिक डिग्री तैयार कर बंटवारा करने का आदेश दिया है।