कुछ माता पिता अपने बच्चों को इतना ज्यादा दबाव बनाते हैं कि बच्चे अवसाद में चले जाते हैं। ऐसे में ना बच्चे आगे बढ़ पाते हैं और ना ही मां बाप की इच्छा पूरी हो जाती है। ऐसे में एक पिता ने ऐसा रास्ता अपनाया, जिसकी वजह से आज एक नया रिकॉर्ड बन गया है। ये प्रेरणा देने वाला काम प्रख्यात न्यूरो सर्जन डा. प्रकाश खेतान ने किया है। कोरोना काल में पढाई बाधित होने की वजह से बेटी निराश थी, बेटी को इससे निकाले के लिए वो उसके सहपाठी बन गए। 18 साल की बेटी मिताली के कदम बढ़ें। इसकी जिजीविषा उन्होंने जुनून के चरम तक की।
30 साल के चिकित्सीय सफर के बावजूद डा. खेतान ने नीट (यूजी) परीक्षा में हिस्सा लिया, ताकि बेटी उनसे प्रेरित हो सके। बाप-बेटी दोनों को ही इसमें सफलता मिली। मिताली को नीट यूजी स्कोर के आधार पर देश के एक शीर्ष मेडिकल कालेज में प्रवेश मिल गया। भारत में सरकारी और निजी संस्थानों में मेडिकल (एमबीबीएस), डेंटल (बीडीएस) और आयुष (बीएएमएस, बीयूएमएस, बीएचएमएस, आदि) पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिये राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा नीट उत्तीर्ण होना जरूरी है।
49 वर्षीय न्यूरो सर्जन डा. प्रकाश खेतान की बेटी मिताली कोटा में नीट की तैयारी कर रही थी। लेकिन कोरोना की वजह से उसकी पढ़ाई पर विपरीत असर पड़ा। पढ़ाई के लिए मिताली संघर्ष करती रही। जब डा. खेतान ने उसके संघर्ष को देखा तो बेटी को प्रेरित करने के लिए वे भी नीट (यूजी) 2023 में शामिल हो गए। डा. प्रकाश खेतान ने नीट परीक्षा के लिए अध्ययन शुरू किया। साथ में बेटी को बैठाते थे ताकि उसकी पढ़ाई मजबूत हो सके। 7 मई को हुई परीक्षा में दोनों को अलग-अलग केंद्र मिले। डा. प्रकाश ने शिवकुटी में मिले केंद्र और मिताली ने झूंसी में मिले केंद्र में परीक्षा दी।
जून महीने में परीक्षा का परिणाम आया तो बेटी ने अपने पिता को पछाड़ दिया। उसे 90 प्रतिशत अंक हासिल किया, जबकि पिता को 89 प्रतिशत अंक मिले। इस प्रदर्शन के आधार पर मिताली को कर्नाटक के मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में प्रवेश मिल गया है।