दिल्ली : TMC की सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द कर दी गई है। एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी। महुआ के खिलाफ एथिक्स कमेटी की सिफारिश मंजूर कर ली गई है। लोकसभा स्पीकर ने कहा कि महुआ का लोकसभा सदस्य रहना उचित नहीं, महुआ मोइत्रा का आचरण अनैतिक था। जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द करने का प्रस्ताव पास कर दिया गया है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने फैसले में 18 साल पर पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के उस फैसले का हवाला देते हुए अपना निर्णय सुनाया। नोट फॉर क्वेरीज मामले में साल 2005 में पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने इसी तरह के आरोपों के मद्देनजर 11 सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी थी।
ओम बिरला ने कहा कि संसद में परंपरा महत्वपूर्ण होती हैं । उन्होंने अपने पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी द्वारा स्थापित परंपरा का पालन किया है। 18 साल पहले पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के फैसले की तुलना तात्कालीन विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने मृत्युदंड से की थी, उसी तरह से आज भी फैसले के बाद टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इसे प्रतिशोधात्मक कार्रवाई करार दिया।
18 साल पहले 11 सांसद हुए थे निलंबित
18 साल पहले 2005 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के एक साल बाद, डिजिटल पोर्टल कोबरापोस्ट ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया था। इसमें ऑपरेशन दुर्योधन के तहत सांसदों को फंसाया गया था, जिन्होंने कथित तौर पर पैसे के बदले में एक कंपनी को बढ़ावा देने और सदन में सवाल पूछने की इच्छा दिखाई थी और फिर उन सांसदों ने संसद में सवाल भी पूछे थे।
स्टिंग में जो सांसदों फंसे थे, उनमें से छह- छत्रपाल सिंह लोढ़ा (ओडिशा), अन्ना साहेब एमके पाटिल (एरंडोल, महाराष्ट्र), चंद्र प्रताप सिंह (सीधी, मध्य प्रदेश), प्रदीप गांधी (राजनांदगांव, छत्तीसगढ़), सुरेश चंदेल (हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश) और जी महाजन (जलगांव, महाराष्ट्र) बीजेपी के थे।
इसके अलावा, तीन सांसद नरेंद्र कुमार कुशवाहा (मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश), लाल चंद्र कोल (रॉबर्स्टगंज, उत्तर प्रदेश) और राजा राम पाल (बिल्हौर, उत्तर प्रदेश) बसपा के थे और एक-एक राजद (मनोज कुमार) से थे और कांग्रेस (राम सेवक सिंह). इनमें से छ्त्रपाप सिंह लोढ़ा राज्यसभा सांसद थे।