लखनऊ का हाई प्रोफाइल मेदांता अस्पताल एक बार फिर विवादों में फस गया हैं। इस अस्पताल से जुड़ा एक नया वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में अस्पताल में भर्ती मरीज के डिस्चार्ज के दौरान बिना वेंटिलेटर लगाए उसका बिल थमाने पर तीमारदार भड़क गए और जमकर हंगामा किया। इस दौरान मेदांता अस्पताल के डॉक्टर और अन्य स्टॉफ से परिजनों की नोकझोंक भी हुई। परिजन बाद में मरीज को मेदांता से डिस्चार्ज करके दूसरे अस्पताल लेकर चले गये।
जानें पूरा मामला
दरअसल आशियाना में रहने वाले रिंकू गोयल के पिता झम्मन लाल गोयल को फेफड़े और पेशाब में संक्रमण पर 17 दिसम्बर को आगरा से लाकर लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। रिंकू ने बताया कि ट्रीटमेंट के दौरान कोई फायदा नहीं मिलने पर सोमवार दोपहर करीब एक बजे ICU में जाकर डॉक्टर से पिता को डिस्चार्ज करके दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए कहा।
मगर, अस्पताल की ओर से दिए गए बिल में 2 दिन के वेंटिलेटर सपोर्ट का शुल्क जोड़ दिया गया। बेटे ने आपत्ति जताई कि जब पिता को वेंटिलेटर लगाया ही नहीं गया तो दो दिन का शुल्क क्यों जोड़ दिया। लेकिन हॉस्पिटल प्रशासन ने बिल में कोई बदलाव नहीं किया।
तीमारदारों के हंगामे के बाद अस्पताल प्रशासन ने वेंटिलेटर शुल्क हटा दिया। तीमारदारों के रुपए जमा करने के बाद शाम 6 बजे मरीज डिस्चार्ज किया। परिजनों ने दूसरे निजी अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया। बेटे रिंकू ने बताया कि करीब 15 दिन में अस्पताल ने 11 लाख अस्पताल ने ले लिये, जबकि पिता की तबीयत सुधरने के बजाय और बिगड़ गई।
इस घटना के बाद मेदांता प्रशासन की तरफ से बयान जारी …
वही इस पूरी घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मेदांता लखनऊ के चिकित्सा अधीक्षक की तरफ से लिखित बयान जारी कर बताया गया कि 69 साल के मरीज झम्मन लाल गोयल को आगरा के अस्पताल से रेफर करने के बाद 17 दिसंबर को इमरजेंसी ICU में भर्ती किया गया था। बेहद गंभीर हालत में मरीज को 18 दिसंबर को कार्डियक अरेस्ट पड़ा। इसके बाद पेशेंट को CPR देने के साथ ही वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। इलाज का मरीज पर बेहतर असर दिखा, और फिर उसे वेंटिलेटर से हटाया गया। इस बीच सांस लेने में तकलीफ के चलते मरीज को वापस से 22 दिसंबर को वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया।
इस दौरान मरीज के परिजनों को समय-समय पर इलाज के साथ मरीज की स्थिति को लेकर जानकारी दी गई। 1 जनवरी को परिजनों ने मरीज को खुद से (LAMA) डिस्चार्ज कराने की बात कही। इस दौरान इंश्योरेंस की धनराशि खत्म होने के कारण परिजनों को बाकी की धनराशि खुद जमा करनी थी। इस बीच परिजनों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। बाद में बिलिंग हेड सेक्शन की मदद से प्रकरण का निपटारा कर दिया गया।