लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने का मुद्दा गरमा गया है। इस मुद्दे पर चर्चा करते बुंदेलखंड के सात विधायकों की तस्वीर वायरल हुई तो बात सीएम योगी तक पहुंची जिसके बाद बुंदेलखंड का मुद्दा मीडिया की सुर्खियों में आ गया।
आपको बता दें की 65 साल से बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने का मुद्दा इस बार महोबा की चरखारी सीट से विधायक बृजभूषण राजपूत की अगुवाई में उठाया जा रहा है। विधानसभा में बैठक के बाद 7 विधायकों ने सीएम योगी से मुलाकात कर अपनी मांग उनके सामने भी रखी। बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने के लिए की जाने वाली बैठक में चरखारी विधायक बृजभूषण राजपूत ‘गुड्डू भईया’, महोबा सदर विधायक राकेश गोस्वामी, ललितपुर सदर विधायक रामरतन कुशवाहा, झांसी सदर विधायक रवि शर्मा, गरौठा विधायक जवाहर राजपूत, माधवगढ़ विधायक मूलचंद निरंजन और कालपी से सपा के बागी विधायक विनोद चतुर्वेदी शामिल रहे।
इस बैठक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचीत के बाद चरखारी विधायक बृजभूषण राजपूत ने बताया कि बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग वह 2010 से कर रहे है, जब प्रदेश में सपा औऱ केन्द्र में कांग्रेस सरकार थी तब वह इसी मांग को लेकर प्रदर्शन करते थे। जिसके लिए उन्हें जेल भी काटनी पड़ी। वह विधायक बन गए लेकिन आज भी वह बुंदेलखंड के पूर्ण विकास के लिए उसे अलग राज्य बनाने के पक्ष में है। बृजभूषण राजपूत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी योजनाओं से अपेक्षित बुंदेलखंड की तस्वीर बदल दी इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन बुंदेलखंड का पूर्ण विकास तभी होगा जब उसकी अपनी विधानसभा होगी, अपना राज्य और अपना बजट होगा। विधायक ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाकर वहां की तस्वीर बदलने का काम जरूर करेंगे। जल्द ही इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी हो सकती है।
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दरअसल बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग नई नहीं है। यह मुद्दा लंबे समय से क्षेत्रीय राजनीति का केंद्र रहा है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भी यह प्रमुख चुनावी मुद्दा था, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों ने अलग राज्य के गठन का वादा किया था। हालांकि, समय-समय पर यह मांग उठती रही है, लेकिन अब तक इसे मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है।
विधायकों की अगली बैठक 24 फरवरी को निर्धारित की गई है, जिसमें आंदोलन की आगामी रणनीति पर चर्चा की जाएगी। साथ ही, क्षेत्रीय संगठनों के साथ समन्वय स्थापित कर व्यापक जन आंदोलन की योजना बनाई जाएगी।
बुंदेलखंड को अलग राज्य बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है। क्षेत्र के विधायकों और संगठनों की सक्रियता से यह मुद्दा राजनीतिक परिदृश्य में प्रमुखता से उभर रहा है। आगामी दिनों में इस आंदोलन की दिशा और दशा पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। खासकर सत्ते के विधायकों की मांग से ये मुद्दा गरमा गया है।