हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार 19 वर्षीय दलित लड़की की मंगलवार सुबह दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। जिसके बाद पुलिस ने पीड़िता के परिवारवालों की गुहार सुने बिना जबरन पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया। बता दें कि पीड़िता की मौत के बाद से देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
परिवार वालों को आरोप है कि पुलिस ने अपनी मर्जी से हैवानियत की शिकार लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया। घरवाले गुहार लगाते रहे। वो भीख मांगते रहे कि 15 मिनट के लिए बेटी के आखिरी दर्शन कर लेने दिए जाएं। एसपी-डीएम लड़की के बेबस पिता को अंतिम संस्कार के लिए समझाते रहे। घरवालों की तो बस इतनी सी इच्छा थी कि वो अपनी बेटी का रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करें। परिजन शव को अपने घर लेकर जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस अपनी जिद से टस से मस नहीं हुई। लेकिन पहले से ही आरोपों में घिरी पुलिस को ये कतई मंजूर नहीं हुआ।
परिवार आरोपियों की फांसी की मांग को लेकर अस्पताल के बाहर बैठा रहा। पीड़ित के भाई का कहना है कि हमें गुमराह किया जा रहा है। हमें न्याय चाहिए। अस्पताल के बाहर कांग्रेस, भीम आर्मी और छोटे छोटे संगठनों ने भी प्रदर्शन किया। भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि हम यह चाहते हैं की न्याय हो, फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चले। यूपी में उन्नाव और अब हाथरस जैसे कई ऐसे मामले हुए हैं।
वहीं मंगलवार को हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने बताया है कि 14 सितंबर को जान से मारने की कोशिश के इस मामले में पीड़िता का 22 सितंबर को बयान लिया गया था, जिसके आधार पर मामले में गैंग रेप की धारा 376 डी जोड़ी गयी थी। बंद चारों आरोपियों के खिलाफ अब आईपीसी की धारा 302 (हत्या) भी जोड़ी जाएगी। उनका कहना है कि मामले के सभी चार अभियुक्त पकडे जा चुके है और 10 लाख की सरकारी मदद दे दी गयी है।