हाथरस की आड़ लेकर यूपी में बड़ी हिंसा की प्लानिंग की गई. जातीय हिंसा की चिंगारी हाथरस से भड़काने की बाकायदा साजिश रची गई और पूरे यूपी को दंगों में जलाने का षडयंत्र रचा गया था…
कांग्रेस अपनी सियासी जमीन यूपी में खो चुकी है. उधर समाजवादी पार्टी भी हाशिए पर जा चुकी है. ऐसे में खुद को दोबारा स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए हाथरस को मुद्दा बनाया गया. इंसाफ की आवाज तक तो सब ठीक था, लेकिन उसके पीछे की जो मंशा सामने आई है. उसने यूपी सरकार के होश उड़ा दिए हैं. हाथरस की आड़ में एक बड़ी हिंसा की तैयारी की गई. जातीय हिंसा की चिंगारी हाथरस से भड़काकर, पूरे यूपी को दंगों में जलाने का षडयंत्र रचा गया था.
हाथरस में नफरत की चिंगारी भड़काई जा रही थी. जिससे पूरे उत्तर प्रदेश को सुलगाने की तैयारी थी. हाथरस में पीड़िता को इंसाफ के बहाने, बर्बादी का ऐसा दौर लाना था. जिसमें 22 करोड़ की आबादी स्वाह हो जाती. हाथरस में जो कुछ हो रहा था. उस साजिश का अगर पर्दाफाश ना हुआ होता, तो कितनी बड़ी तबाही हो सकती थी.
दंगों की यादों से दिल में खौफ पैदा हो जाता है, लेकिन दंगाईयों के जहन में इंसानियत नहीं बसती. बल्कि साजिशों का ऐसा चक्रव्यूह रचा जाता है. जिसमें मानवीय संवेदनाओं को हथियार बनाकर सबकुछ बर्बाद कर दिया जाए. खुद सोचिए, जिस हाथरस का नाम तक शायद राहुल गांधी, प्रियंका नहीं जानते होंगे. वो 16 दिन बाद सियासत और हंगामे का सबसे बड़ा सेंटर कैसे बन गया. अगर यूपी सरकार की माने तो ये सबकुछ प्लान्ड था और ऐसा यकायक नहीं हुआ. बल्कि इसकी तैयारी की गई.
‘कट्टरपंथी गैंग’ का दंगा भड़काऊ प्लान
दिल्ली और बेंगलुरू में जो दंगा हुआ. उसे मजहबी रंग दिया गया. हाथरस में भी साजिश ऐसे ही रची गई. बस यहां दलित बनाम सवर्ण का रंग देकर जातीय हिंसा का खूनी खेल रचा गया था.