यूपी के हाथरस जिले के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय एक दलित युवती से कथित रूप से गैंगरेप किया गया था. चोटों के चलते दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गई. इसके बाद रातोंरात उसके शव का दाह-संस्कार कर दिया गया. इस मामले को लेकर देशभर में आक्रोश है.
आपको बता दे उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में कथित गैंगरेप मामले की जांच के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार CBI जांच की सिफारिश कर चुकी है. हालांकि, एक हफ्ते बीत जाने के बाद भी अब तक ना ही सीबीआई की ओर से कोई प्राथमिकी दर्ज की गई और ना ही सरकार को सीबीआई की ओर से कोई जवाब मिला है. ऐसे में राजनीतिक दल सरकार की इस सिफारिश पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
एक रिपोर्ट के अनुसार सीबीआई के अधिकारियों ने अब तक स्थानीय पुलिस से घटना से जुड़े दस्तावेज तक नहीं मांगे हैं. यह बात दीगर है कि 12 अक्टूबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट में हाथरस मामले की सुनवाई होगी.
इसी दिन सुप्रीम कोर्ट में भी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अगुवाई वाली बेंच भी एक याचिका पर सुनवाई केरगी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि मामले को दिल्ली ट्रांसफर किया जाए. इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने भी शीर्ष अदालत में अपना हलफनामा दाखिल करके मामले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश देने का अनुरोध किया था. सरकार ने कहा कि इस मामले में एक निर्दोष जिंदगी चली गई और सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में केंद्रीय एजेंसी को जांच करने का आदेश दे सकता है.
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने गुरुवार को एक ट्वीट कर कहा कि ‘कथित सीबीआई जांच बयान बनकर रह गई.’ उन्होंने कहा कि उप्र में विशेष जांच दल सरकार बचाओ दल बन चुका है. जब – जब न्याय का गला घोंटना होता है, तब इस ‘सरकार बचाओ दल’ को सक्रिय कर दिया है. हाथरस के साथ यही हो रहा है. वकथित सीबीआई जांच बयान बनकर रह गई. सीएम को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच से डर लगता है. न्याय की हत्या जारी है.’
दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम फिलहाल अपनी जांच कर रही है. इसी एसआईटी की रिपोर्ट के बाद जिले में पुलिस अधीक्षक समेत पांच पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी थी. वहीं गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि एसआईटी को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 10 दिन का और समय दिया गया है.
अतिरिक्त समय दिए जाने की वजह के बारे में पूछे जाने पर अवस्थी ने बताया ‘इसका एक ही कारण है, वह यह कि अभी जांच पूरी नहीं हो पाई है.’ हाथरस में दलित लड़की से कथित रूप से सामूहिक बलात्कार के बाद उसकी मौत के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 30 सितंबर को एसआईटी का गठन किया था. उस वक्त उसे अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सात दिन का समय दिया गया था.
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