केंद्र की मोदी सरकार ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर पहला कदम आगे बढ़ा दिया है। मोदी सरकार ने देश में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लागू करने के लिए एक कमेटी बना दी है। जो तय करेगी कि, देश में एक साथ लोकसभा और सभी विधानसभा के चुनाव कराना फायदेमंद है या नुकसानदायक। कमेटी बनते ही विरोधी दलों ने मोदी सरकार के इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है। INDIA फ्रंट की बैठक में भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा हुई और इसका सदन से लेकर सड़क तक विरोध करने की योजना तैयार हुई। लेकिन बैठक में मौजूद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर अपने साथियों से अपनी राय जुदा कर ली और बैठक से निकलते ही मीडिया से कहा कि, ये मुद्दा भले भटकाने के लिए है लेकिन अगर सरकार केंद्र के साथ उत्तर प्रदेश का भी चुनाव कराए तो वह उसका स्वागत करेंगे।
मतलब साफ है कि, अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री की कुर्सी दिखने लगी है और वह चाहते हैं कि, 2027 से पहले ही अगर चुनाव हो जाते तो वो उतनी ही जल्दी यूपी के सुल्तान बन जाएंगे। अखिलेश यादव ने इस बात को लेकर सिर्फ बयान ही नहीं दिया बल्कि ट्वीट कर अपनी इच्छा फिर से जाहिर कर दी। अखिलेश ने ट्वीट में ना सिर्फ इच्छा जाहिर कर सरकार को सलाह भी दी, ताकि सरकार जल्द उत्तर प्रदेश में चुनाव कराए और अखिलेश योगी का तख्ता पलट यूपी के मुख्यमंत्री बन जाए।
अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा कि, हर बड़े काम को करने से पहले एक प्रयोग किया जाता है। इसी बात के आधार पर हम ये सलाह दे रहे हैं कि, ‘एक देश-एक चुनाव’ करवाने से पहले भाजपा सरकार, इस बार लोकसभा के साथ-साथ देश के सबसे अधिक लोकसभा व विधानसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश के लोकसभा-विधानसभा के चुनाव साथ कराके देख लें। इससे एक तरफ़ चुनाव आयोग की क्षमता का भी परिणाम सामने आ जाएगा और जनमत का भी। साथ ही भाजपा को ये भी पता चल जाएगा कि, जनता किस तरह भाजपा के ख़िलाफ़ आक्रोशित है और उसको सत्ता से हटाने के लिए कितनी उतावली है।
उनके इस ट्वीट से साफ जाहिर है कि, मोदी के इस कदम से अखिलेश बाबू मन ही मन मुस्की काट रहे है और वह खुद को 2027 से पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठा पा रहे है। लेकिन मोदी सरकार के खिलाफ INDIA फ्रंट का हिस्सा होने के चलते वह अपनी बात थोड़ा घुमाकर रख रहे है। अखिलेश साथियों को खुश रखने के लिए सिर्फ यूपी में चुनाव कराने की मांग कर रहे है।
वहीं वन नेशन वन इलेक्शन पर तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल समेत india के सदस्य विरोध कर रहे है। इसका कारण ये है कि इन सभी की अपने अपने प्रदेश में सरकार है और वह नहीं चाहते कि समय से पहले उन्हें चुनाव में जाना पड़े। क्योंकि चुनाव में कुर्सी जाने का रिस्क तो रहता ही है। फिलहाल अभी चुनाव होने पर अखिलेश यादव की सरकार वाकई बन जाएगी, इस पर तमाम राजनीतिक पंडित प्रश्न उठा रहे है। उन्हें लगता है कि, अखिलेश यादव लगतार कई बार हार चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी वो ओवर कॉन्फिडेंस में सियासत करते है। फिलहाल अखिलेश यादव की सलाह मोदी सरकार कितना सीरियस लेती है? ये ही बड़ा रोमांचक होने वाला है।
ब्यूरो रिपोर्ट NTTv bharat