उत्तर प्रदेश का अमेठी जिला इन दिनों संजय गांधी अस्पताल को लेकर लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। अमेठी के जिला अध्यक्ष प्रदीप सिंघल, पूर्व एमएलसी दीपक सिंह एवं पूर्व जिला अध्यक्ष योगेंद्र मिश्र की अगुवाई में जिला कांग्रेस कमेटी ने अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं व पदाधिकारी के साथ अमेठी के मुंशीगंज स्थित संजय गांधी अस्पताल को पुन: संचालन के लिए अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं। इसके साथ ही मांग की है कि, प्रदेश के मुखिया व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जिनके आदेश पर अस्पताल का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर अस्पताल की सभी सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी उसे शुरू किया जाय।
पूरे मामले की शुरुआत 19 सितंबर को हुई जहां एक पथरी के इलाज के लिए आई महिला की एनेस्थीसिया के ओबरडोज के कारण कोमा में जाने के बाद मौत हो गई थी। इसकी वजह से भाजपा के स्थानीय नेताओं व परिजनों द्वारा धरना प्रदर्शन करते हुए अस्पताल के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की गई। इसके बाद अमेठी जिला प्रशासन ने तीनों दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जांच कमेटी गठित कर अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा। लेकिन उसी के दूसरे दिन इस अस्पताल का लाइसेंस व अस्पताल के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई।
वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि, हमें अपना पक्ष रखने का बिल्कुल समय नहीं दिया गया और राजनीतिक रंजिश के कारण यह करवाई की गई है। इस कार्रवाई को लेकर अमेठी की जनता के साथ-साथ कस्बा स्थित दुकानदारों वा अस्पताल में काम करने वाले लगभग 500 कर्मचारी भी अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। तब से लेकर आज तक मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
धरने में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता दीपक सिंह उनसे बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताते हुए अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी पर विकास के बजाय विनाश की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए अमेठी जिले में कांग्रेस द्वारा स्थापित किए गए जनहित संस्थाओं का बंद करने का आरोप लगाया। अब देखने वाली बात यहां होगी की इन धरना प्रदर्शन और विरोध का कितना असर होता है।