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क्या अमेठी पुलिस के दुश्मन है सरहद पर खड़े जवान..इस मामले से उठ रहे कई सवाल

“सुरक्षा आपकी, संकल्प हमारा” के मोटो और स्लोगन पर काम करने वाली पुलिस को अब भारतीय सेना में तैनात जवानों से शांति भंग का खतरा मंडराने लगा है। सरहद पर सुरक्षा के लिए खड़े जवान को अमेठी की पुलिस असामाजिक तत्व बता रही है। जो जवान 8 महीने से अमेठी नहीं आए उन्हें पुलिस ने दोषी बना दिया। मामला अमेठी जनपद के संग्रामपुर थाना क्षेत्र की रिपोर्टिंग चौकी टीकरमाफी के पूरे गंगा मिश्र गांव से जुड़ा हुआ है। जहां पर हो रहे सार्वजनिक रास्ते के निर्माण को लेकर एक पक्षों में विवाद खड़ा कर दिया और मामला पुलिस में चला गया। हालांकि किसी भी प्रकार की कोई घटना नहीं हुई सार्वजनिक रास्ता पूरी तरह से बन भी गया । क्योंकि यह पूरे गांव वालों की सहमत से बन रहा था सिर्फ चंद लोगों इस में रोड़ा अटका रहे थे । लेकिन इसके बावजूद 8 अगस्त 2020 को संग्रामपुर थाने के थानाध्यक्ष राजीव सिंह के द्वारा आंख मूंदकर दूसरे पक्ष के 14 लोगों के खिलाफ शांति भंग की धारा 107/16 की कार्यवाही करते हुए न्यायालय भेज दिया गया । इन्हीं 14 लोगों में 2 ऐसे लोग हैं जो पिछले 8 महीनों से अपने घर नहीं आए हैं।

देश की सेवा और सरहद पर देश की सुरक्षा कर रहे हैं जिसमें मनोज कुमार त्रिपाठी सीआरपीएफ में हेड कांस्टेबल के पद पर जम्मू के कुपवाड़ा में तैनात हैं । तो वहीं पर इसी गांव के रहने वाले लाल जी पांडे बीएसएफ में उपनिरीक्षक के पद पर राजस्थान के जैसलमेर में तैनात होकर देश की सुरक्षा कर रहे हैं। जो व्यक्ति इतने लंबे समय से अपने गांव आया ही ना हो उससे गांव वालों और पुलिस वालों को कौन सा शांतिभंग का खतरा दिखाई पड़ रहा है ? कहीं ना कहीं पुलिस के द्वारा इसमें बदले की भावना से कार्यवाही दिख रही है।

जी हां आपको यह भी बता दें कि यह वही थाना है जहां पर आए दिन भारतीय सेना के जवानों के प्रताड़ित होने की खबरें मिलती है। चाहे वह एक सैनिक को अपनी जमीन बचाने के लिए एसडीएम कार्यालय के सामने बैठना पड़ रहा हो या फिर पड़ोसियों के द्वारा भारतीय सेना में तैनात जवान के पिता की हत्या होना पुलिस की नाकामी का जीता जागता उदाहरण है। पुलिस द्वारा पीड़ित जवानों के परिजनों ने अंदेशा जताया है कि उनके छुट्टी आने के बाद पुलिस के द्वारा उनके ऊपर फर्जी कार्यवाही की जा सकती है। इसलिए इस मामले में उचित कार्यवाही होनी चाहिए । परिजनों ने कहा कि जिसने भी ऐसा किया है उसके ऊपर उचित कार्यवाही की जाए । यही नहीं इसी के साथ पुलिस के द्वारा बेतुका बातें भी कही जा रही हैं। उनके छुट्टी आने के बाद शांति भंग का खतरा हो सकता है। इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही की गई है । ऐसी पुलिस से भगवान बचाए जनता तो भगवान भरोसे ही है।