पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में कल बिजली नहीं आ रही है। कई जिले अंधेरे में डूबे रहे। दरअसल असल में बिजली कर्मचारियों ने कल एक दिन की हड़ताल रखी जिसकी वजह से बिजली व्यवस्था चरमरा गई। बिजली विभाग के निजीकरण किए जाने के प्रस्ताव के विरोध में सूबे के 15 लाख से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर हैं।. सोमवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की सरकार से वार्ता फेल रही, जिसके बाद समिति ने आज प्रदेश में आंदोलन का ऐलान किया है। अलग-अलग जिलों में लगभग 25 हजार कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बता दें कि प्रयागराज के बाजार अंधेरे में डूबे रहे जबकि महाराजगंज में घंटों तक बिजली गुल रही तो परेशान लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और देर शाम वो सड़क जाम करने पहुंच गए। इस दौरान पुलिस से उनकी झड़प भी हुई। महराजगंज या प्रयागराज ही नहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई इलाके कल अंधेरे में डूबे रहे।
यूपी के कई शहरों में तो विद्युत आपूर्ति जारी है, लेकिन कई ऐसे शहर भी हैं जहां पर कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने से पहले बिजली की आपूर्ति बंद कर दी। प्रदेश के देवरिया, आजमगढ़, बाराबंकी, गोरखपुर, मिर्जापुर, मऊ, गाजीपुर सहित कई जिले और शहर अंधेरे में डूबे हुए हैं।
वही उत्तर प्रदेश में अचानक पैदा हुए इस बिजली संकट की वजह निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारियों की हड़ताल है। इसके खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने यूपी में पूरे दिन कार्य बहिष्कार किया। राजधानी लखनऊ से लेकर प्रयागराज, गोरखपुर, मुरादाबाद से लेकर अमेठी तक यूपी में कई इलाकों में कल बिजली कर्मचारियों ने एक दिन की हड़ताल की।
हड़ताली कर्मचारियों का कहना था कि सरकार ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए बिजली विभाग को निजी हाथों में जो सौंपने का फैसला किया है, जो सही नहीं है. सरकार और समिति के बीच पिछले 5 अप्रैल 2018 को हुए समझौते का पालन किया जाए।