कानपुर के विकास दुबे कांड से उत्तर प्रदेश पुलिस ने घर गिराने का जो अभियान शुरू किया, वह मुख्तार अंसारी,अतीक अहमद, खान मुबारक, विजय मिश्रा जैसे माफियाओं के घरों तक जारी है. लेकिन इस ‘घर गिराओ’ अभियान में कानपुर पुलिस अब अपनी ही कहानी में घिर गई है. कानपुर पुलिस ने दर्ज एफआईआर में कहा है कि विकास दुबे का घर तो टूटा फूटा था, दीवारें जर्जर थीं, अपने आप गिर गईं. कानपुर वाले विकास दुबे का घर गिराए जाने को उत्तर प्रदेश पुलिस स्वतः हुई क्रिया यानी ‘एक्ट ऑफ गॉड’ मान रही है. अंधविश्वास पर आधारित परेश रावल की फिल्म ओ माय गॉड की तरह एक्ट-ऑफ गॉड जैसा ही कुछ. कानपुर पुलिस ने तो कुछ किया ही नहीं. वह तो विकास दुबे के घर तलाशी लेने गई थी, दीवारें जर्जर थीं और अपने आप भरभरा कर गिर गई.
बिकरु कांड के खलनायक विकास दुबे का घर गिराया गया. घर के साथ-साथ उसके हाते में खड़ी गाड़ियां, फॉर्च्यूनर, स्कॉर्पियो, ट्रैक्टर तक जेसीबी मशीनों से चकनाचूर कर दी गईं. पुलिस की यह कार्रवाई मीडिया के सामने हुई, मीडिया के कैमरे में कैद हुई और दुनिया में देखी भी गई. लेकिन कानपुर पुलिस की यह कार्रवाई अब अपने ही कानूनी दस्तावेज में दर्ज कहानी के झोल में फंस सकती है. कानपुर पुलिस ने विकास दुबे के घर गिराए जाने के मामले में जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें कहा गया है कि विकास दुबे का घर पुलिस ने नहीं गिराया. वह तो अपने आप जर्जर हो गया था और दीवारें भरभरा कर गिर गईं.
दरअसल खाकी के बजाय विकास दुबे के लिए काम करने के आरोप में जेल की हवा खा रहे चौबेपुर के पूर्व थानेदार विनय तिवारी की तरफ से 4 जुलाई की शाम 7:07 पर दर्ज कराई गई इस एफआईआर में लिखा गया, क्योंकि उनको दिन में 2:30 बजे मुखबिर ने सूचना दी कि विकास दुबे के घर में बंकर है, दीवारों के बीच में असलहों को छिपा कर रखा गया है. पुलिस ने छापेमारी की तो उसको मौके पर घर के अंदर खुदाई के निशान मिले. थानेदार विनय तिवारी को दीवारें खोखली लगने लगी. पुलिस ने दो दर्जन स्थानों पर खुदाई की तब जाकर 315 बोर के 3 तमंचे बरामद हुए. खुदाई में पुलिस को लगा मकान जर्जर हो गया तो उसने जेसीबी से खुदाई शुरू करवाई. खुदाई जमीन में हो रही थी लेकिन दीवारें कमजोर हो गई तो मकान की आरसीसी वाली छत अपने आप गिर गई. पुलिस को दूसरी बार की खुदाई में तीन तमंचे, 2 किलो विस्फोटक के साथ नीम के पेड़ के नीचे 15 जिंदा बम बरामद हुए. पुलिस की यही थ्रिलर स्टोरी उसके लिए अदालत में फांस बन सकती है, क्योंकि विकास दुबे के पुराने और नए घर को गिराए जाने की तस्वीरें दुनिया ने लाइव देखी. घर गिराए जाने के दौरान किसी अधिकारी ने विस्फोटक या तमंचा मिलने की बात नहीं बताई. दीवारें खोखली बनाकर हथियार छुपाने की कहानी दो दिन बाद अधिकारियों ने गढ़ी.
जानकार कहते हैं कि पुलिस ने इस एफआईआर के जरिए विकास दुबे की उन गाड़ियों को तोड़ने की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है, जो संभवतः बैंक के लोन पर रही होंगी, क्योंकि लोन पर ली हुई गाड़ियां तो बैंक की संपत्ति है, तो जब पुलिस उस संपत्ति का नुकसान करेगी, तो भरपाई भी पुलिस को करनी होगी और इसी भरपाई से बचने के लिए पुलिस ने एफआइआर में गाड़ियों के तोड़े जाने का जिक्र ही नहीं किया. फिलहाल विकास दुबे के एनकाउंटर से लेकर अमर दुबे की नाबालिग पत्नी खुशी दुबे को जेल भेजने के बाद घर गिराए जाने की इस एफआईआर की कहानी ने बिकरु कांड की थ्रिलर स्टोरीज में एक और इजाफा किया. जिसका जवाब आज भले ही पुलिस के आला अधिकारी नहीं दे रहे हो लेकिन जवाब तो देना पड़ेगा भले ही वो अदालत में क्यों ना हो.