दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. यह बात ऐसे ही नहीं कही जाती है, बल्कि उसके पीछे मजबूत तर्क यह है कि देश की सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीटें यूपी से आती हैं. पीएम मोदी ने यूपी के रास्ते से दिल्ली की मंजिल तय की और केंद्र की सत्ता पर दूसरी बार काबिज हैं और अब तीसरी बार विराजमान होने की तैयारी में हैं. यही वजह है कि बीजेपी यूपी के सियासी राह में आ रहे गड्ढों को भरने में जुट गई है. इसी मद्देनजर दिल्ली में गुरुवार को बीजेपी की बड़ी बैठक होगी, जिसमें मिशन-2024 को लेकर रणनीति पर मंथन किया जाएगा.
बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व की उत्तर प्रदेश के ओबीसी नेताओं के साथ लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ी बैठक है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अगुवाई में होने वाली बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, सांसद साध्वी निरंजन ज्योति, सुरेंद्र नागर, संगम लाल गुप्ता सहित कुछ ओबीसी सांसद को बुलाया गया है. ये बैठक गुरुवार दोपहर 3 बजे के करीब बीजेपी मुख्यालय विस्तार भवन में होगी.
जाति जनगणना की काट तलाशने में जुटी बीजेपी
दिल्ली में होने वाली बैठक की अहमियत को इस बात से समझा जा सकता है कि इसके लिए गुरुवार को लखनऊ में होने वाले दलित महासम्मेलन को भी स्थगित कर दिया गया है. बीजेपी गुरुवार को दिल्ली में बैठक कर मुख्य रूप से जाति जनगणना की काट की रणनीति तलाशेगी. इसीलिए बीजेपी ने यूपी के अपने ओबीसी चेहरों को बुलाया है ताकि उनके साथ मंथन कर विपक्ष के सियासी हथियार को नाकाम किया जा सके.
दलित-ओबीसी को साधने में जुटी बीजेपी
बता दें कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जाति आधारित जनगणना के मुद्दे को हवा देने में जुटे हैं ताकि बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़ा किया जा सके. इस तरह विपक्षी दलों की नजरें ओबीसी सहित अतिपिछड़ी जातियों और दलित वोटों को लुभाने पर हैं. बिहार की नीतीश कुमार हाल ही में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर बीजेपी पर दबाव बढ़ाने की कोशिश की गई है, जिसके बाद कांग्रेस-सपा ने इसे लेकर यूपी में सियासी माहौल बनाने में जुट गए हैं. यही वजह है कि बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद में जुट गई है.
यूपी की 80 सीटों पर बीजेपी की नजर
बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपने सवर्ण कोर वोटबैंक को साधे रखते हुए 2014 में गैर-यादव ओबीसी और गैर-जाटव दलित वोटों को जोड़कर एक नई सोशल इंजीनियरिंग बनाई है, जो उसके जीत का आधार बना. इस फॉर्मूले से बीजेपी लगातार दो लोकसभा चुनाव (2014 व 2019) और दो विधानसभा चुनाव (2017-2022) जीत चुकी है. बीजेपी अपने इसी सोशल इंजीनियरिंग के दम पर 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति बनाई है और सूबे की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य तय कर रखा है.
लोकसभा चुनाव की तैयारी में बीजेपी
ओबीसी और दलित वोटों के बिना यह लक्ष्य हासिल करना पार्टी के लिए आसान नहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 50 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य रखा था, जिसे पाने में सफल रही. इस बार पार्टी की योजना 60 फीसदी वोट हासिल कर लोकसभा चुनाव में कम से कम 2014 के परिणामों को दोहराने की है. इसके लिए बीजेपी हरसंभव कोशिश में जुटी है और उसके तहत अमित शाह ने दिल्ली में बैठक बुलाई है ताकि विपक्ष के द्वारा उठाए जा जातिगत जनगणना के मुद्दे की काट तलाशी जा सकेगी.
हालांकि, बीजेपी 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद में जुटी है. इसी मिशन के तहत सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की एनडीए में वापसी कराई गई तो सपा के विधायक रहे दारा सिंह चौहान को दोबारा से बीजेपी ने अपने साथ मिलाया. दारा सिंह चौहान भले ही उपचुनाव घोषी से हार गए हैं, लेकिन पार्टी उन्हें सियासी अहमियत देकर ओबीसी समुदाय के बीच सियासी संदेश देने की रणनीति बनाई है.
बीजेपी चुनावी रणनीति पर होगा मंथन
गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ बुधवार शाम यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बैठक हुई, जिसमें यूपी के मंत्रिमंडल विस्तार और संगठन के कुछ लंबित मुद्दों को लेकर चर्चा हुई. माना जा रहा है लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए कुछ अति महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं. कुछ नए मंत्रियों को योगी सरकार में जगह मिल सकती है. इसके अलावा सहयोगी दल सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और हाल में बीजेपी में वापसी करने वाले दारा सिंह चौहान को भी सरकार में एकोमोडेट करने की है. माना जा रहा है कि दिवाली के बाद यूपी में मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और कैबिनेट से कुछ मंत्रियों की छुट्टी तो कुछ के विभागों में फेरबदल हो सकते हैं.