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सनातन को कोई खतरा नहीं, चुनाव के लिए BJP बना रही है मुद्दा-बोले राकेश टिकैत

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को सनानत विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सनातन को कोई खतरा नहीं है. चुनाव के कारण बीजेपी इस मुद्दे को गरमा रही है. मुरादाबाद में में राकेश टिकैत ने कहा कि यहां 80 प्रतिशत सनातनी है, उन्हें कौन खत्म कर सकता है. उन्होंने कहा कि आप जोर से कहो कि आप भारतीय हिंदू हो और हम भी भारतीय हिंदू हैं. हमें कौन चोट पहुंचा सकता है.

उन्होंने कहा किअगर किसी ने गुस्से में सनातन को खत्म करने की बात कर दी तो क्या हुआ? यह ये देश संविधान से चलेगा, जब-तक जय हिंद और संविधान का नारा लगेगा, तब-तक हिंदू भी बचेगा और संविधन भी बचेगा.,

राकेश टिकैट एक कार्यक्रम में शामिल होने मुरादाबाद पहुंचे थे, जहां पर वो पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे थे. वहीं, उनसे INDIA गठबंधन द्वारा कुछ मीडिया हाउस के ऐंकर के बॉयकॉट करने पर सवाल किया गया.

उन्होंने कहा कि उन्होंने सबकी किताब पढ़ी होगी. सबका बॉयोडाटा देखा होगा. एक-दो साल रिसर्च किया होगा, जिसके बाद उन्हें नंबर दिए हैं. उनका बॉयोडाटा उठाकर देख लो वो किस चीज पर बहस करते है.

हालात आपातकाल से भी खराब
उन्होंने कहा कि देश में आज कैमरा और कलम पर बंदूक का पहरा दिया जा रहा है. इस देश में आपातकाल से भी अधिक खतरनाक हालात हैं. टिकैत ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोगों को जेल में बंद किया था और आपातकाल लगाई थी. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने लोगों को आजाद रखकर आपातकाल लगा दी है.

उन्होंने कहा कि लोग तो आजाद हैं और इधर-उधर घूम रहे हैं, लेकिन किसी को अपनी बात कहने की आजादी नहीं है. पूरे देश में एक ऐसे आंदोलन की जरूरत है, जिससे सभी को इससे मुक्ति मिल सके.

पूरे देश में चल रहा है वैचारिक आंदोलन
टिकैत ने कहा कि सरकार को अपनी बात कहनी होगी और अपनी बात कहना ही एक तरह का आंदोलन है. आंदोलन केवल सड़क पर उतर कर ही करना नहीं, बल्कि देश के जैसे हालात हैं. उसमें यदि कोई अपनी बात रखता है, तो वह भी आंदोलन ही है. वास्तव में आज पूरा ही एक वैचारिक आंदोलन कर रहा है. कोई बोल पा रहा है और कोई नहीं बोल पा रहा है.

उन्होंने कहा कि इस देश में किसी को अपनी बात रखने की आजादी नहीं है. यहां जी20 शिखर सम्मेलन हुए विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष आएं, लेकिन कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई. यदि राष्ट्राध्यक्षों को किसी दूसरे देश में जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए बाध्य होना पड़े, तो इसे क्या कहा जा सकता है.

 

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