सपा विधायकों की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव इन दिनों अखिलेश यादव से नाराज चल रहे हैं। शिवपाल सिंह की इस नाराजगी के बाद से राजनीति में बड़े उलटफेर के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। इस दौरान शिवपाल सिंह के भाजपा में शामिल होने को लेकर भी चर्चा हो चुकी है। एक बार फिर से शिवपाल सिंह यादव ने यूपी की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं।
भतीजे अखिलेश से नाराज के बीच चाचा शिवपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को ट्विटर पर फॉलो कर लिया है। इसके अलावा शिवपाल सिंह यादव ने पूर्व डिप्टी सीएम रहे डॉ. दिनेश शर्मा को भी फॉलो किया है। पहले शिवपाल केवल पीएमओ और सीएमओ को ही फॉलो करते थे। शिवपाल के अचानक से पीएम और सीएम के ट्वीट को फॉलो करने के बाद सियासी गलियारों में एक बार फिर से प्रसपा अध्यक्ष के भाजपा में शामिल होने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि अभी इसको लेकर किसी भी तरह की पुष्टि नहीं हुई है।
यूपी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सपा ने विधायक दल की बैठक बुलाई थी। जिसमें अखिलेश को नेता प्रतिपक्ष चुना गया था। दो दिन से उम्मीद लगाकर लखनऊ में डेरा डाले शिवपाल यादव को विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया था। इससे शिवपाल यादव ने नाराजगी भी जाहिर की थी। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव को सपा के चुनाव चिह्न पर ही जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ाया गया था। ऐसे में शिवपाल यादव को पूरी उम्मीद थी कि विधायक दल की बैठक में उन्हें बुलाया जाएगा।
शिवपाल यादव ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि उन्हें जानकारी मिली की विधायक दल की बैठक होनी है तो वह लखनऊ में ही दो दिन से रुके हुए थे। शिवपाल ने कहा था कि, मुझे पार्टी की बैठक में नहीं बुलाया गया है। मैं दो दिन से इंतजार कर रहा था, इस बैठक में शामिल होने के लिए मैंने अपने दूसरे सारे प्रोग्राम कैंसल कर दिए, लेकिन मुझे बुलाया नहीं गया।
केशव प्रसाद मौर्य ने क्या कहा?
शिवपाल यादव के भाजपा में जाने को लेकर केशव प्रसाद मौर्या ने उन पर टिप्पणी की थी। यूपी के डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया था कि बीजेपी में फिलहाल ऐसी कोई वैकेंसी नहीं है। उन्होंने सीएम योगी से शिवपाल की मुलाकात को सामान्य बताते हुए कहा है कि विपक्ष का कोई भी नेता उनसे मिल सकता है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने शिवपाल की शर्तों को नरम करने के लिए भी यह दांव चला होगा। पार्टी अपने नफा-नुकसान को ध्यान में रखकर ही शिवपाल के साथ कोई समझौता करेगी।