Deoria Massacre: देवरिया में जमीनी विवाद की भेंट चढ़े सत्यप्रकाश दुबे की बड़ी बेटी शोभिता ने बताया ” 2 अक्टूबर को 15 साल के भाई दीपेश उर्फ गांधी का जन्मदिन था। सुबह वह अपने पिता के घर जाने की तैयारी कर रही थी। इसी दौरान सुबह करीब 7 बजे गांधी का फोन आया। मैंने सोचा कि बर्थडे के चक्कर में फोन कर रहा है। एक बार नहीं रिसीव किया, क्योंकि मुझे थोड़ी देर बाद ही घर जाना था। दोबारा फिर फोन बजने लगा तो मैंने रिसीव करते ही उसे बर्थडे विश किया। उधर से डरी सहमी आवाज में गांधी ने बताया कि दीदी इन लोगों ने पापा-मम्मी को मार दिया है। अब हम लोगों को मारने के लिए घर खोद रहे हैं। हमें बचा लीजिए…इसपर मैंने उन्हें पुलिस को फोन करने के लिए कहा। इसके बाद ही मैं भी अपने घर से जल्दी निकलने की तैयारी करने लगी।”
गांव से दो किमी पहले ही पूरे परिवार की हत्या की मिली सूचना
“मुझसे छोटा और घर में सबसे बड़ा भाई बलिया गया था। वहां उसे कुछ कर्मकांड कराना था। वह देवरिया के एक कॉलेज से शास्त्री की पढ़ाई कर रहा है। उसे कॉलेज की ओर से भेजा गया था। करीब 20 मिनट बाद ही उसका फोन आया और उसने घर पहुंचने के लिए कहा। हम अपने पति के साथ निकल लिए। गांव से करीब दो किलोमीटर पहले ही मुझे गांव के कुछ लोग मिले। उन्होंने मुझे गांव जाने से मना करते हुए बताया कि तुम्हारे पापा-मम्मी समेत पूरे परिवार की हत्या कर दी गई है। घर तोड़ दिया गया है। गांव में भारी तनाव है। पुलिस मौके पर है। यह सब सुनकर मैं गांव की बजाय रुद्रपुर कोतवाली पहुंच गई। वहां डीएम और एसपी मौजूद थे। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा रहा था। मैंने सबके चेहरे देखे, किसी को पहचानने लायक नहीं छोड़ा गया था। मेरी 20 साल की बहन के साथ बहुत ज्यादा बर्बरता की गई थी। उसे पहले गोली मारी गई फिर गला काटा गया। इसके अलावा उसके साथ न जाने क्या-क्या हुआ…” इतना कहते ही शोभिता रोने लगी।