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क्या 29 साल बाद हो सकती है ब्राह्मण समाज की जीत?

उत्तर प्रदेश के देवरिया सदर विधानसभा चुनाव के इतिहास में पहला मौका होगा, जब सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशी ब्राह्मण हैं। यह सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है, फिर भी 1991 के बाद कोई ब्राह्मण प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका है। जिला निर्वाचन आयोग के पास जो आंकड़े हैं, उसके मुताबिक ब्राह्मण समाज से अंतिम चुनाव राम छबीला मिश्रा ने 1989 में जनता दल के टिकट पर जीता था। इसके बाद अलग-अलग समाज के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे हैं।

देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों ने जातीय व सामाजिक समीकरण साधा है। सभी प्रमुख दलों ने ही ब्राह्मण प्रत्याशी पर भरोसा जताया है। इससे पहले जितने भी चुनाव हुए, अलग-अलग समाज से प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे जाते थे। दरअसल, देवरिया सदर विधानसभा सीट ब्राह्मण बहुल है। लिहाजा, कोई राजनीतिक दल नाराजगी नहीं मोल लेना चाहता है। राजनीतिक दलों के पास जो आंकड़े उपलब्ध हैं, उसके मुताबिक देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 50-55 हजार ब्राह्मण मतदाता हैं। दूसरे नंबर पर वैश्य मतदाता हैं। इनकी संख्या 45-50 हजार बताई गई है। यादव मतदाता 25-30 हजार और मुस्लिम 20-25 हजार हैं। निषाद मतदाता भी महत्वपूर्ण भूमिका में रहते हैं। इनकी संख्या 20-22 हजार बताई गई है।

वहीं क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या भी 18-20 हजार है। मौर्या-कुशवाहा मतदाता 15-16 हजार हैं। सैंथवार 12-13 हजार, राजभर 8-10 हजार और चौरसिया समाज के 8-10 हजार मतदाता हैं। अलग-अलग समाज के और भी मतदाता हैं। जिला निर्वाचन आयोग की सूची में बुधवार तक 3.34 लाख 177 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। यही सभी राजनीतिक दल व उनके प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।