चीन के मुस्लिम देशों से अच्छे संबंध होने के बाद भी चीन सबसे ज्यादा अत्याचार मुस्लिमों पर ही करता है। नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीनी अधिकारियों ने सैकड़ों मस्जिदों को या तो बंद कर दिया या उनका हुलिया ही बदल दिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ये सब निंग्जिया और गांसु क्षेत्र में किया है जो शिनजियांग के बाद सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला इलाका है। ह्यूमन राइट्स वॉच के शोधकर्ताओं ने कहा कि चीनी सरकार निंग्जिया और गांसु स्वायत्त क्षेत्र में मस्जिदों की संख्या कम कर रही है। इस रिपोर्ट से खुलासा होने के बावजूद भी इस्लामिक देश और OIC आंख बंद किए हुए है। यहाँ तक खुद को मुस्लिमों का मसीहा कहने वाला पाकिस्तान भी चुप्पी साधें हुआ है।
बता दें कि अप्रैल 2018 में चीन ने एक निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि सरकारी अधिकारियों को इस्लामी गतिविधि स्थलों के निर्माण और लेआउट को सख्ती से नियंत्रित करना चाहिए। उन्हें ज्यादा ध्वस्त और कम निर्माण के सिद्धांत का पालन करना चाहिए। जिसके बाद HRW के शोधकर्ताओं ने निंग्जिया के दो गांवों में मस्जिदों के हालातों की जांच करने के लिए सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि 2019 और 2021 के बीच लगभग सात मस्जिदों से गुंबद और मीनारों को हटा दिया गया। चार मस्जिदों में बदलाव किए गए और तीन मुख्य इमारतों को ढहा दिया गया। वहीं एक मस्जिद का वजूखाना भी क्षतिग्रस्त हो गया। इस सब पर मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के डेविड स्ट्रप और प्लायमाउथ विश्वविद्यालय की लेक्चरर हन्ना थेकर ने शोध किया था।
1,300 मस्जिदें 2020 से बंद
वजूखाने को क्षतिग्रस्त करना इस बात को सुनिश्चित करने के लिए था कि कोई उनका इस्तेमाल न कर सके। ऐसे में बिना निर्माण को तोड़े यह मस्जिद हटा दी गई। थेकर और स्ट्रूप का अनुमान है कि निंग्जिया में लगभग 1,300 मस्जिदें 2020 से बंद कर दी गई। इस आंकड़े में वह मस्जिदें शामिल नहीं है, जिन्हें तोड़ा या बदला गया। हालांकि HRW के पास बदली गई मस्जिदों की एकदम सटीक संख्या नहीं है, लेकिन अनुमान के मुताबिक यह सैकड़ों में हैं। झोंगवेई शहर के अधिकारियों ने 2019 में कहा कि उन्होंने 214 मस्जिदों को बदल दिया, 58 को तोड़ा और अवैध तरीके से चल रही 37 को बंद कर दिया।