भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या वापस लौटने की खुशी में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। आज यानी 11 नवंबर को देशभर में छोटी दिवाली मनाई जा रही है। धन त्रयोदशी के बाद छोटी दिवाली, नरक चतुर्दशी, काली चौदस और हनुमान पूजा होगी। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को प्रदोष काल में छोटी दिवाली मनाते हैं और यम का दीपक जलाते हैं। रात के समय में काली चौदस और हनुमान पूजा करते हैं। इस दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। क्यों मनाई जाती है छोटे दिवाली?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भौमासुर नाम का एक राक्षस जिसे नरकासुर भी कहा जाता है, उसके अत्याचारों से तीनों लोकों में हाहाकार मचा हुआ था। उसने अपनी शक्तियों के कारण कई देवताओं पर भी विजय पा ली थी। क्योंकि उसकी मृत्यु केवल किसी स्त्री के हाथ ही हो सकती थी इसलिए उसने हजारों कन्याओं का हरण कर लिया था।
इस पर इंद्रदेव भगवान कृष्ण के पास संसार की रक्षा की प्रार्थना लेकर पहुंचते हैं। इंद्र देव की प्रार्थना स्वीकार करते हुए, भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ गरुड़ पर आसीन होकर नरकासुर राक्षस का संहार करने पहुचे। भगवान श्री कृष्ण ने सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध कर डाला।
नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण और सत्यभामा ने उसके द्वारा हरण की गई 16100 कन्याओं को मुक्त कराया। जब यह कन्याएं अपने घर वापस लौटी तो उन्हें समाज और उनके परिवार ने अपनाने से इनकार कर दिया। उन सभी कन्याओं को आश्रय देने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने उन सभी को अपनी पत्नियों के रूप में स्वीकार किया।
भौमासुर को नरकासुर के नाम से भी जाना जाता था। चतुर्दशी तिथि पर ही भगवान श्री कृष्ण उसका वध किया था। इसलिए इस तिथि को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इसी दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है।