हाथरस में दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप के मामले पर उबाल के बीच उत्तर प्रदेश में एक और दलित के साथ जातिगत हिंसा का मामला सामने आया है। राज्य के ललितपुर में एक शख्स ने पहले एक दलित को खूब पीटा और फिर उसे पेशाब पीने को मजबूर किया। पीड़ित ने मामले में पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई है और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
दरअसल मामला ललितपुर के कोतवाली थाने के अंतर्गत आने वाले रौंड़ा गांव का है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आरोपी सोनू यादव ने 65 वर्षीय अमर के बेटे चऊवा पर कुछ दिन पहले कुल्हाडी से हमला किया था और उन्होंने इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपी पीड़ित परिवार पर लगातार शिकायत वापस लेने का दबाव डाल रहा था और इसी क्रम में रविवार को उसने अपने एक साथी के साथ उन पर हमला कर दिया। अमर और चऊवा की पुलिस शिकायत के अनुसार, 11 अक्टूबर को शाम साढ़े 7 बजे वे दोनों गांव के हनुमत अहिरवार की दुकान पर बीड़ी खरीदने गए थे और तभी गांव के ही सोनू यादव और नरेंद्र उर्फ छोटू वहां आ गए।
शिकायत के अनुसार, पहले तो सोनू और नरेंद्र ने उन्हें अपशब्द और जातिसूचक शब्द कहे और फिर डंडों से हमला कर दिया। अमर के अनुसार, इसी दौरान आरोपियों ने उस पर पेशाब पीने का दबाव बनाया। अपनी शिकायत में अमर ने कहा, “सोनू ने मुझे एक कप में अपनी पेशाब भरकर दी और पीने का दबाव बनाया। मना करने पर उसने जबरन मुंह में पेशाब डाल दिया। मैंने विरोध किया तो उसने मुझे लाठियों से पीटना शुरू कर दिया।”अमर और चऊवा को पिटते देख मोहल्ले के लोगों ने उन्हें बताया जिसके बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मुख्य आरोपी सोनू को गिरफ्तार कर लिया है। मामले में बयान जारी करते हुए पुलिस ने कहा कि पीड़ितों की शिकायत के आधार पर जातिसूचक शब्द कहने, मारपीट करने, जान से मारने की धमकी देने संबंधी गंभीर धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई है। इसके अलावा SC/ST एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं।
ललितपुर के पुलिस अधीक्षक मिर्जा मंजर बेग ने मामले पर कहा, “मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है और बाकी आरोपियों की तलाश की जा रही है।” बता दें कि हाथरस में दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप की वारदात के बाद से राज्य में जातीय राजनीति पहले से ही जोरों पर है। मामले में ठाकुर समुदाय, जिससे आरोपी आते हैं, एक तरफ गोलबंद हो गया है और आरोपियों को निर्दोष बताते हुए उन्हें छोड़ने की मांग कर रहा है। वहीं विपक्ष दलित परिवार के पीछे गोलबंद है और योगी आदित्यनाथ के शासन में दलितों पर अत्याचार बढ़ने का आरोप लगा रहा है।