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यूपी के इस बैंक में पैसे मांगने पर मिलती है मौत

वो दलित था…गरीब था..लाचार था..बीमार था लेकिन मरने से पहले उस मजबूर को नहीं पता था… कि भारत में सबसे बड़ी बीमारी तो घूसखोरी है..और जिसका इलाज सिर्फ पैसा है। बाराबंकी में पैसे के भूखे बैंक मैनेजर ने एक मजदूर को मार डाला। बैंक मैनेजर पर ये आरोप चीखते-चिल्लाते हुए उस परिवार ने लगाया जिसके लड़के की लाश बैंक में पड़ी है।

दरअसल मृतक रामराज पैसे निकालने के लिए बाराबंकी के असन्द्रा थाना क्षेत्र के ग्रामीण बैंक ऑफ आर्यावर्त में कई दिनों से चक्कर लगा रहा था। लेकिन कागज में गड़बड़ी का बहाना बताकर उसे रोज लौटा दिया गया। रामराज अपनी बीमारी से ज्यादा मैनेजर और बैंकर्मियों से परेशान हो गया। बीमारी से मजबूर रामराज का पैसा निकाल देने की पैरवी आसपास के कई प्रतिष्ठित लोगों ने की..लेकिन बैंक में पैरवी की जगह पांच हजार घूस मांगा जा रहा था और घूस ना देने पर एफआईआर की धमकी दी। जिससे परेशान होकर बैंक में ही पीड़ित की मौत हो गई। इसके बावजूद हैरान करने वाली बात ये है कि सूचना मिलने पर एक पत्रकार बैंक पहुंचा तो बैंककर्मियों ने उसे बंदी बना लिया। पुलिस और पत्रकारों ने आकर पत्रकार को छुड़ाया…आसपास के लोगों ने बैंकर्मियों को प्रोफेशनल घूसखोर और माफिया बताया।

मृतक के परिजनों ने हंगामा काट दिया। जिसमें क्षेत्रीय पत्रकारों सहित आसपास के सभी लोगों ने उनका साथ दिया। परिवार ने मैनेजर और बैंककर्मियों पर हत्या का मुकदमा लिखने की मांग की। हालांकि कई थानों की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर सभी को समझाते हुए लाश को पेस्टमार्टम के लिए भेजा।

सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक ने भी बैंक वालों पर आरोपों की झड़ी लगा दी और उन पर कार्रवाई करने की मांग की।

21वीं सदी के आधुनिक भारत में बैंकों की स्थिति ऐसी है कि अपने पैसे को निकलाने के लिए गिड़गिड़ाना पड़ता है..रोना पड़ता है। घूस देना पड़ता है और अंत में मरना पड़ता है।

बाराबंकी से श्रवण चौहान की रिपोर्ट