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Diwali 2020: इस पावन पर्व पर कुछ खास तरह से करें मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा, जानें पूजा विधि और मंत्र

आज दिवाली का त्योहार है. यह कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है. दिवाली को मां लक्ष्मी और गणेश जी पूजा होती है. आइए जानते हैं दिवाली पूजा विधि, मंत्र, आरती और महालक्ष्मी बीज मंत्र के बारे में। पूजा के समय इन बातों के बारे में जानना जरूरी होता है. कोरोना काल में जागरण अध्यात्म आपके लिए पूरी​ पूजा विधि दे रहा है, जिससे आप घर पर स्वयं लक्ष्मी और गणेश पूजा कर सकते हैं.
दिवाली पूजा का मुहूर्त-
यह त्यौहार भी इस वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाएगा. दिवाली के शुभ मुहूर्त की बात करें तो लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 25 मिनट तक का है. प्रदोष काल मुहूर्त शाम 5 बजकर 27 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगा. वृषभ काल मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 25 मिनट तक है.

दिवाली पूजा विधि-
सबसे पहले आपको एक चौकी लेनी होगी. इस पर एक सफेद कपड़ा बिछाएं और मां लक्ष्मी और गणेश जी को इस पर विराजित करें. अब पूजा के जलपात्र में थोड़ा जल लें. जल को निम्न मंत्र पढ़ते हुए प्रतिमा पर छिड़कना होगा.

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मंत्र-

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

  1. पृथ्वी माता को प्रणाम करें. नीचे दिए मंत्रों का जाप करें और क्षमा प्रार्थना करते हुए आसन पर बैठ जाएं। इसके लिए आपको निम्न मंत्र पढ़ना होगा.

मंत्र-

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः॥

इसके बाद ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः मंत्र को पढ़ें और गंगाजल से आचमन करें. इसके बाद हाथ में जल लें और पूजा का संकल्प करें. फिर हाथ में अक्षत्, पुष्प और जल लें. इसके साथ एक रुपये का सिक्का भी लें. इसे भगवान को अर्पित कर दें फिर सबसे पहले श्री गणेश का पूजन करें. इसके बाद कलश पूजन करें.

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नवग्रहों का पूजन करें। फिर से हाथ में अक्षत और पुष्प लें. इसके बाद नवग्रह स्तोत्र बोलें. फिर भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें. फिर इन्हें मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प अर्पित करें और पूजा करें.सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं. स्वयं भी तिलक लगाएं.फिर मां लक्ष्मी की पूजा करें. पूजा के दौरान श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ अवश्य करें. भगवान गणेश और लक्ष्मीजी के आगे 7, 11 अथवा 21 दीपक जलाएं.
फिर मां लक्ष्मी को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें. मां को भोग जरूर लगाएं। मां और गणेश जी की आरती करें. आखिरी में भगवान से जाने-अनजाने में हुई सभी भूलों की क्षमा-प्रार्थना करे.