हाथरस में दलित लड़की की चिता की आग ने ठंडी पड़ी सियासत में ऐसी गर्मी पैदा कर दी की हर तरफ बयानों और प्रदर्शनों की ज्वाला जल रही है। इस ज्वाला का सीधा निशाना है योगी आदित्यनाथ। चुटकी बजाकर, उंगली दिखाकर और आंखों के इशारों भर से सब कुछ ठीक करने वाले योगी हाथरस में उलझ चुके है। इस उलझन को भविष्य वक्ताओं द्वारा बड़ी राजनीतिक साजिश बताया जा रहा है। जो सीएम योगी के खिलाफ ही रची गयी है। राजनीति की विस्फोटक बात तो ये है कि विश्लेषकों ने इस साजिश का मास्टरमाइंड कमलछाप नेताओ को बताया है। वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व आप नेता आशुतोष ने ट्वीट किया कि “यूपी के कुछ अफ़सर किसके कहने पर योगी आदित्यनाथ का राजनैतिक कैरियर तबाह करने में लगे है, ये समझ का विषय है”।
आशुतोष यहीं नही रुके और अगला ट्वीट करते हुए लिखा
“जैसे जैसे वक़्त बीतेगा योगी को पता चलेगा कि कौन लोग उनको निपटाने में लगे हैं ? राजनीति में सबसे ख़तरनाक वो होते है जो सबसे करीब होने और विश्वासपात्र होने का दावा करते हैं ।”
आशुतोष ने ये आरोप तब लगाया जब अफ़सरों ने हाथरस केस में पालीग्राफ टेस्ट करवाने की बात कही जाहिर है कि पालिग्राफ टेस्ट करवाने पर सरकार और अधिकारियों की पोल खुल सकती है और अगर ऐसा हुआ तो योगी की कुर्सी पर संकट खड़ा हो जाएगा।
पूर्व आईएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि चाटुकार पत्रकारिता करने वाले हाथरस में इतनी जद्दोजहद कर रहे है यानी कुछ बड़ा होने वाला है। सूर्य प्रताप सिंह का ट्वीट भी ये दावा करता है योगी के खिलाफ उन्हीं के लोग साजिश कर रहे है।
अब सवाल ये है कि सीएम योगी को उल्टी सीधी सलाह देने वाले बड़े अधिकारी किसके इशारे पर काम कर रहे है। क्या बीजेपी आलाकमान ही योगी के खिलाफ साजिश रच रहा है जिसमें अधिकारी और मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। हो सकता है सीएम योगी के समकक्ष नेताओं की लॉबी ऐसा करवा रही है। हो चाहे जो कुल मिलाकर योगी बुरी तरह फंस गए है। हाथरस मामला दबने से ज्यादा उनके अधिकारी उसे तूल पकड़ाते जा रहे है। जिससे योगी की कुर्सी खतरे में पड़ गयी है।