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ज्ञानपुर में ढह गया चार बार के व‍िधायक विजय मिश्र का सियासी किला, निषाद पार्टी रचा इतिहास

विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों सीटों पर चल रहा महीनों से गुणा गणित को जनता ने नकार दिया। लोगों के कयास धरे के धरे रह गए। ज्ञानपुर सीट पर बीते बीस वर्षों से काबिज विजय मिश्र को हराकर भाजपा सहयोगी दल निषाद पार्टी के विपुल दुबे विजयी रहे।

भदोही सीट पर कांटे की टक्कर में जहां रवींद्रनाथ त्रिपाठी चुनाव हार गए तो वहीं सपा के जाहिद बेग ने जीत हासिल कर अपना दबदबा कायम रखा जबकि औराई सीट पर भाजपा के दीनानाथ भास्कर दूसरी बार कमल खिलाने में कामयाब रहे।

यूपी चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी प्रचार प्रसार में पूरी ताकत झोंकते हुए अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए साम, दाम, दण्ड, भेद सभी तरीके अपना रहे थे। साथ ही अपने अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश स्तर के नेताओं से लेकर राष्ट्रीय नेता यहां तक की अन्य प्रदेशों के नेता भी पूरे दमखम से प्रचार प्रचार में जुट गए थे।

सात मार्च को मतदान के बाद प्रत्याशियों, समर्थकों के साथ ही साथ जनता को भी बेसब्री से 10 तारीख का इंतजार था। गुरुवार को इंतजार की यह घड़ी भी खत्म हो गई और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मतगणना शुरू हुई। मतगणना के पहले रुझान के आने के साथ ही जनपद की दो विधानसभा पर जीत हार को लेकर तस्वीर धुंधली धुंधली नजर आने लगी थी और पांचवे, दसवें चरण के रुझान आने के साथ ही तस्वीर एकदम साफ हो गई थी। स्पष्ट हो गया था कि जनपद की ज्ञानपुर सीट पर सारी अटकलों को दरकिनार करते हुए संभावना नजर आने लगी थी कि जनता ने निषाद पार्टी के विपुल दुबे को अपना विधायक चुनने का मन बना लिया है।

ऐसा ही कुछ सूरते हाल औराई सुरक्षित विधानसभा सीट का भी था, क्योंकि मतगणना की शुरुआत से ही सपा बढ़त बनानी शुरू की लेकिन दोपहर बाद पूरा आंकड़ा बदल गया। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दीनानाथ भाष्कर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए।

रही बात ज्ञानपुर सदर विधानसभा सीट की तो, इसी सीट पर मतगणना की शुरुआत से ही त्रिकोणीय संघर्ष शुरू हो गया। इस सीट पर रामकिशोर बिंद, भाजपा सहयोगी दल के विपुल दुबे और चार बार से विधायक रहे विजय मिश्र प्रतिष्ठा लगी थी। मतगणना की शुरुआत में ही किसी चरण में रामकिशोर बिंद तो किसी में विपुल दुबे पटखनी देते नजर आए। विजय मिश्र शुरू से ही तीसरे स्थान पर बने रहे। अंत में भाजपा निषाद पार्टी से विपुल दुबे को विजय श्री मिली।