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Jalaun: गुटखा कारोबारी के घर GST का छापा, पांच घंटे चली जांच-पड़ताल

जालौन। सोमवार को डिप्टी कमिश्नर जीएसटी झांसी संजय शर्मा के नेतृत्व में शहर आई टीम ने इंद्रानगर स्थित गुटखा व्यापारी के यहां पर छापा मारा। पांच घंटे तक चली कार्रवाई में टीम को जीएसटी चोरी समेत तमाम गैर कानूनी तरीके से गुटखा तैयार करने की सामग्री मिली है। इस कार्रवाई से गुटखा का काला कारोबार करने वाले अन्य माफियाओं के दरवाजों पर ताला लग गया।

शहर में गुटखा का काला कारोबार वृहद स्तर पर चलता है। इसमें सरकार के राजस्व की चोरी तो होती ही है बल्कि लोगों के जीवन के साथ भी खिलवाड़ होता है। बुंदलेखंड में उरई तंबाखू मिश्रित गुटखा की सबसे बड़ी मंडी बनी हुई है। जीएसटी विभाग के सूचना तंत्र में गुटखा के माध्यम से काली कमाई करने में जुटे रामू गुप्ता का नाम आ गया। सटीक सूचना पर डिप्टी कमिश्नर संजय शर्मा के नेतृत्व में टीम उरई के इंद्रानगर स्थित आवास पर पहुंच गई।

अचानक टीम के पहुंचने से सब हैरान रह गए। मौके पर गुटखा बनता हुआ मिला। टीम ने पहले तो पूरे घर की चेकिंग की। इस दौरान बड़ी मात्रा में गुटखा बनाने के लिए सुपाड़ी मिली। इसके अलावा प्रतिबंधित सुपाड़ी युक्त तंबाखू मिली। मोहित और पंडित गुटखा के नाम की पैकिंग पन्नी मिली। लौंग से लेकर गुटखा में प्रयोग होने वाले सेंट मिला।

बताया जा रहा है कि टीम पांच घंटे से उक्त गुटखा मालिक के यहां पर जांच पड़ताल करके अब लिखा पढ़ी करने में जुटी है। टीम ने फिलहाल कुछ बताया नहीं, लेकिन माना जा रहा है कि गुटखा मालिक रामू गुप्ता बड़े स्तर पर राजस्व की चोरी कर रहे थे। समाचार लिखे जाने तक टीम अपनी कार्रवाई में जुटी हुई है। डिप्टी कमिश्नर ने फिलहाल कुछ भी बताने से इंकार किया है।

आखिर किसके इशारे पर बिक रहा प्रतिबंधित गुटखा

उरई। बुंदेलखंड में गुटखा के काले कारोबार के लिए उरई को गुटखा मंडी में जाना जाता है। यहां पर प्रतिबंधित गुटखा के माध्यम से गुटखा माफिया अपने मुनाफा के चक्कर में लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे है। बड़े स्तर पर गुटखा का काला कारोबार हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी भनक नहीं है। यह बात बड़ी हैरान करने वाली है।

सुपाड़ी तंबाखू की महक गलियों में

उरई। शहर में बनने वाले गुटखा के नाम से गलियां जानी जाने लगी है। यहां पर अगर आप निकल रहे है तो जहां गुटखा बनता है उस गली में पहले से ही पता चल जाएगा कि गुटखा बन रहा है। क्योंकि यहां पर गलियों से गुजरने में ही एहसास हो जाता है। इतना सब स्पष्ट है फिर भी स्थानीय प्रशासन को कुछ पता नहीं।

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