महोबा : उत्तर प्रदेश के महोबा अस्पताल के इमरजेंसी में इलाज के नाम पर तीमारदारो से 280 रुपये सुविधा शुल्क लिए गए हैं। पीड़ित ने सीएमएस से शिकायत कर पैसे वाफिस कराए जाने की मांग की है। दरअसल जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मरीज का इलाज करने के बाद उसके पति से सुविधा शुल्क लिया गया। जिसकी शिकायत पीड़ित ने सीएमएस से की है। सीएमएस के आदेश के बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने रुपये वापस किए।
जानें पूरा मामला
बता दें मुख्यालय के मोहल्ला आलमपुरा निवासी 27 वर्षीय जूली आदिवासी पत्नी रामसिंह आदिवासी दंपत्ति ने विवाद के बाद जहर खा लिया था तब पति ने उसे जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया। पति ने बताया कि उपचार के बाद गोविंद नाम के स्वास्थ्य कर्मी ने उससे 280 रुपये मांगे जिस पर उसने रुपये देने से मना कर दिया तो गांविद ने कहा कि सरकारी फीस है। इसके बाद उसने 280 रुपये दे दिए। जिसके बाद पीड़ित रामसिंह ने सीएमएस पीके अग्रवाल से शिकायत की। सीएमएस इमरजेंसी वार्ड पहुंचे लेकिन उन्हें देख गोविंद भाग गया। उन्होंने रामसिंह के रुपये वापस कराए। सीएमएस ने बताया कि तमाम लड़कों की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद भी वह आते हैं और मरीजों से रुपये ले लेते हैं। सभी फार्मासिस्टों को वह पत्र जारी कर रहे हैं कि कोई भी बाहरी और ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अस्पताल में नहीं रहेगा।
उन्होंने बताया कि सुविधा शुल्क लेने की पूर्व में भी उनको शिकायत मिल चुकी है। इमरजेंसी में प्लास्टर बांधने के नाम पर भी 333 रुपये लिए जाते हैं। सीएमएस ने बताया कि प्लास्टर का कोई भी शुल्क नहीं है पूरी तरह निशुल्क है। अब उनकी संतुष्टि के बाद ही प्लास्टर किया जाएगा। कहा कि अब गाेविंद जिला अस्पताल में आया तो कानूनी कार्रवाई कराई जाएगी। चीफ फार्मासिस्ट रामकिशोर ने बताया कि गोविंद की ट्रेनिंग 30 नवंबर को पूरी हो चुकी है और उसे पत्र देकर जाने के लिए भी कहा गया लेकिन वह नहीं गया। जिला अस्पताल में ट्रेनिंग पूरी होने के बाद भी तमाम लड़के आते हैं और मरीज तीमारदारों से इलाज के नाम पर माेटी रकम ऐंठ लेते हैं। इस रकम का बाद में बंदरबाट किया जाता है।