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चंद्रयान के लैंडर की चांद पर कैसे होगी लैंडिग? लखनऊ के वैज्ञानिक मिलिंद ने प्रोटो टाइप से दिखाया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वाकांक्षी तीसरे चंद्र मिशन के तहत चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) आज यानी बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरने को तैयार है. ऐसा होने पर भारत पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच देगा. इस बीच हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक है कि आखिर चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) चंद्रमा की सतह पर कैसे उतरेगा? तो ऐसे में लोगों को जिज्ञासा को शांत करने के लिए यूपी तक ने लखनऊ के रोबोटिक साइंटिस्ट मिलिंद से खास बातचीत की है. उन्होंने प्रोटोटाइप के जरिए पूरे प्रोसेस को समझाया है.

मिलिंद ने कहा, “विक्रम लैंडर में चार इंजन लगे हुए होते हैं. ये इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि ये सॉफ्ट लैंडिंग करे. जब विक्रम लैंडर चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा तब इसका रैम्प खुलेगा और इसमें से जो हमारा प्रज्ञान (रोवर) है वो बाहर आएगा. जब लैंडर विक्रम में से रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा तब हमारा मिशन सक्सेसफुल माना जाएगा.”

उन्होंने आगे बताया, “प्रज्ञान बाहर आने के बाद मून को एक्सप्लोर करेगा. इसके बाद यह चंद्रमा की तस्वीरें खींचेगा, वीडियो बनाएगा और डेटा भेजेगा.”

आपको बता दें कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल के बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के निकट सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है.

यदि चंद्रयान-3 मिशन चंद्रमा पर उतरने और चार साल में इसरो की दूसरी कोशिश में एक रोबोटिक चंद्र रोवर को उतारने में सफल रहता है तो भारत अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. चंद्रमा की सतह पर अमेरिका, पूर्व सोवियत संघ और चीन ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर चुके हैं, लेकिन उनकी ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर नहीं हुई है.

चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 के बाद का मिशन है और इसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित एवं सॉफ्ट-लैंडिंग को प्रदर्शित करना, चंद्रमा पर विचरण करना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोग करना है.

 

 

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