रिपोर्ट:पवन कुमार मौर्य
दीपावली पूरे देश में जोशो के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस त्यौहार में अब परंपरागत तरीकों को छोड़ कर लोग नए तरीके से इलेक्ट्रॉनिक मोमबत्ती झालर इत्यादि से घर को सजाने और दीपावली मनाने लगे हैं जिसके चलते मिट्टी के दीपक एवं बर्तन बनाने वाले कुम्हारों की दीपावली फीकी हो गई है।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबकी बार लोकल फॉर दिवाली की अपील की है लेकिन प्रधानमंत्री जी की इस अपील का कहीं कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। इस बार दीपावली की स्थिति जानने के लिए जब अमेठी के कुम्हारों से बात की गई तो उन्होंने कैमरे के सामने अपना दर्द बयां किया। उनका साफ तौर पर कहना है की चाइनीज आइटम के आगे हमारे मिट्टी के दिए को पूछने वाला कौन है? दिन प्रतिदिन साल दर साल मिट्टी के खिलौने दिए तथा बर्तन बनाने वाले हम लोगों का रोजगार खत्म होता जा रहा है। सरकार के द्वारा प्लास्टिक बैन करने के बावजूद आज भी बाजारों में कुल्हड़ के बजाय प्लास्टिक ग्लासों का खुलेआम प्रयोग हो रहा है। जिसके चलते हम लोगों का धंधा मर चुका है। हम लोगों को खाने के लाले पड़े हैं । ऐसे में अब हम लोग भी धीरे धीरे इस व्यवसाय को खत्म कर मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पाल रहे हैं। सरकार के द्वारा भी हम लोगों को किसी प्रकार की सुविधा नहीं मुहैया कराई जा रही है। मिट्टी के बर्तन और दीए बनाने के लिए हम लोगों को ग्राम समाज की सरकारी भूमि आवंटित की जाती थी। जहां से हम लोग मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए मिट्टी लिया करते थे। लेकिन अब तो हम लोगों को वह भी सुविधा नहीं दी जाती है।
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ऐसे में हम लोग मिट्टी खरीदते हैं उसके बाद दिए खिलौने और बर्तन बनाते हैं। जिससे उसकी लागत भी बढ़ जाती है। इससे सस्ता प्लास्टिक गिलास पड़ता है इसीलिए लोग हमारे मिट्टी से बने सामानों का प्रयोग करने के स्थान पर प्लास्टिक तथा फाइबर के साथ-साथ चाइनीस सामानों का भरपूर प्रयोग कर रहे हैं। यदि सरकार के द्वारा हम लोगों को सुविधा मुहैया कराई जाए और विदेशी सामानों को बाजार में आने से प्रतिबंधित किया जाए तो निश्चित रूप से हम लोग भी दिवाली में अपना घर रोशन कर सकते हैं। हम लोगों ने इस बार बड़ी मेहनत और उम्मीद से मिट्टी के दीए बर्तन और खिलौने बनाए हैं।