देश के लिए मेडल जीतने का ख्वाब संजोने वाले एथलीट आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। डाइट, किट के लिए पैसा नहीं होने के कारण ये खिलाड़ी खेतों में मजदूरी करने को मजबूर हैं। इन दिनों खिलाड़ी समूह बनाकर ठेके पर गेहूं कटाई का काम कर रहे हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 20 किमी दूर रिठौरा कस्बा है। कस्बे के आसपास के गांवों में युवाओं का एक समूह काफी चर्चा में है। चर्चा के पीछे तेज रफ्तार से गेहूं की फसल को काटना सबसे बड़ा कारण है। खिलाड़ियों का यह समूह रिठौरा के मैदान पर पसीना बहाता है। इन खिलाड़ियों के पास दमखम की कोई कमी नहीं है। बस कमी है तो संसाधनों की। और संसाधन जुटाने के लिए पैसों की। पैसों की कमी को पूरा करने के लिए खिलाड़ियों ने ठेके पर गेहूं कटान का काम शुरू किया है। इसमें उनकी मदद जिला एथलेटिक संघ के सचिव साहिबे आलम ने की है। साहिबे बड़े किसानों से बात करके खिलाड़ियों को काम दिला देते हैं। भूसे के दाम बढ़ जाने के कारण किसान भी हाथ से गेहूं कटाई को तरजीह दे रहे हैं। धूप में तपकर लोहे से मजबूत हो चुके एथलीट किसी मजदूर की तुलना में तेजी से काम पूरा कर देते हैं। उसके बदले में उन्हें प्रति बीघा 40 से 45 किलो गेहूं मिलता है।
गन्ना और सरसों की कटाई भी की
खिलाड़ियों ने सिर्फ गेहूं की कटाई ही नहीं की बल्कि गन्ना और सरसों की कटाई भी की। गन्ना और सरसों का काम करके जब पैसा मिला तो इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। फिर सभी ने मिलकर गेहूं कटाई का ठेका लेने का फैसला किया। सभी बिना किसी हीन भावना के अपने काम रहे हैं।
एक दिन में काटते हैं 10 बीघा खेत
यूपी स्टेट एथलेटिक प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत चुकी काजल चक्रवर्ती ने बताया कि पिता मजदूर हैं। खेल में खर्च बहुत हैं। डाइट, स्पाइक, किट आदि के लिए पैसे देने में घरवाले सक्षम नहीं हैं। इसलिए मैंने भी काम करने का फैसला किया। 20-22 खिलाड़ी एक दिन में 10-12 बीघा गेहूं काट लेते हैं।
सही से प्रैक्टिस को चाहिए दस हजार रुपये
मो. अलीम स्टेट प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। वो आल इंडिया प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुके हैं। उनके पिता राजमिस्त्रत्त्ी हैं। अलीम कहते हैं, सही से तैयारी की जाए तो हर महीने औसतन 10-12 हजार रुपये का खर्च होता है। खेलने जाओ तो आधा-अधूरा पैसा मिलता है।
मिनी मैराथन में मिले थे बस 1100 रुपये
स्टेट लेवल पर मेडल जीत चुके निजामुद्दीन ने बताया कि नए खिलाड़ियों को कैश पुरस्कार कम ही मिलते हैं। मिनी मैराथन में एक बार सिर्फ 1100 रुपये मिले थे। पिता शमसुद्दीन मजदूरी करते हैं। उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वो हमारे खेल का खर्च उठा सकें।
● मोहम्मद अलीम ने उत्तर प्रदेश एथलेटिक प्रतियोगिता लखनऊ में 10000 मीटर दौड़ में रजत पदक प्राप्त किया। रुहेलखंड विश्वविद्यालय की प्रतियोगिता में 5000 मीटर व 10000 मीटर में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। अखिल भारतीय विश्वविद्यालय एथलीट प्रतियोगिता मैंगलोर में हिस्सा लिया।
● काजल चक्रवर्ती ने यूपी स्टेट एथलेटिक प्रतियोगिता लखनऊ में 5000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक प्राप्त किया। लखनऊ विश्वविद्यालय की क्रॉस कंट्री दौड़ प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। अखिल भारतीय विश्वविद्यालय क्रॉस कंट्री दौड़ प्रतियोगिता मैंगलुरु में 34 वां स्थान प्राप्त किया’
● मोहम्मद आसिब ने एकेटीयू यूपी स्टेट एथलेटिक प्रतियोगिता लखनऊ में 1500मीटर में स्वर्ण पदक प्राप्त किया ’
● दर्शन, निजामुद्दीन एवं अर्जुन ने उत्तर प्रदेश एथलेटिक प्रतियोगिता 2021 मेरठ में हिस्सा लेकर मेडल जीते। शानू अली और हैदर अली ने उत्तर प्रदेश क्रॉस कंट्री 2021 में भाग लिया। रिंकी ने उत्तर प्रदेश स्टेट प्रतियोगिता रायबरेली में हिस्सा लिया।
फेडरेशन के पास नहीं है फंड
जिला एथलेटिक संघ के सचिव साहिबे आलम इन खिलाड़ियों के कोच भी हैं। साहिबे कहते हैं, फेडरेशन के पास कोई फंड नहीं होता है। बच्चों के पास जब अच्छे ट्रैक सूट, जूते आदि नहीं होते हैं तो वो हीन भावना का शिकार हो जाते हैं। डाइट की कमी से सही से प्रैक्टिस भी नहीं हो पाती है। बच्चों को समझाया गया कि यदि खेलना है तो खुद कमाना होगा।