NOIDA: नोएडा के निठारी में आज 17 साल बाद उसी बहुचर्चित कांड के चर्चे हैं, जिसने देश ही नहीं बल्कि दुनिया को झकझोर कर रख दिया था. 17 साल बाद मनिंदर सिंह पंढेर और सुरिंदर कोली को जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बरी किया तो लोगों के बीच एक ही सवाल है कि आखिर उन तमाम जघन्य हत्याओं का दोषी कौन है, क्या कभी उन परिवारों को इंसाफ मिल पाएगा, जिन्होंने अपने बच्चे खोए हैं?
63 साल के झब्बू लाल और उनकी पत्नी सुनीता पिछले 35 सालों से निठारी में रहते हैं. इनकी बेटी 10 साल की थी, जब एक दिन अचानक गायब हो गई. जिस जगह ये कपड़े प्रेस करने की दुकान चलाते हैं, वहां से पंडेर का घर मुश्किल से 20 मीटर की दूरी पर है. जब बच्चों के कंकाल और मानव अंग बरामद होने का सिलसिला शुरू हुआ तो इन्हें पता चला कि इनकी बेटी भी दरिंदगी का शिकार हुई.
अब भगवान से ही आस, वो सब देख रहा है
डीएनए टेस्ट से इनके बच्ची के अवशेष की पहचान हो सकी थी. आज झब्बू लाल और उनकी पत्नी सुनीता हताश भी हैं और आक्रोशित भी. सुनीता अपनी बच्ची को याद कर भावुक हो जाती हैं और अपने आंसू नहीं रोक पातीं. इनका कहना है कि अब भगवान से ही आस है. वो सब देख रहा है.
इनके बच्ची के स्कूल आइकार्ड और जूते पंढेर के घर से बरामद हुए थे. इनका कहना है कि पंढेर के कपड़े यहीं प्रेस किया करते थे और उसके पठानी सूट पर इन्होंने कई बार खून के दाग भी देखे थे, लेकिन इन्हें क्या पता था कि शायद वो अपनी ही बच्ची के खून के निशान पर इस्त्री चला रहे थे.
17-19 नहीं 90 से अधिक कंकाल मिले थे- झब्बू लाल
झब्बू लाल का दावा है कि न 17, न 19 बल्कि नब्बे से ज्यादा कंकाल बरामद हुए, लेकिन पुलिस ने कम दिखाया और उन्हें समझा-बुझाकर कागजात पर दस्तखत कराए गए. मामले का खुलासा भी स्थानीय लोगों ने पहले किया, जिसके बाद पुलिस ने गहनता से छानबीन शुरू की. झब्बू लाल आज सवाल उठाते हुए कहते हैं कि जब ये दोनों निर्दोष ही थे तो 17 साल जेल में कैसे रह गये? यदि इन्होंने हत्याएं नहीं कीं तो किसने की? पीएम मोदी और सीएम योगी का नाम लेते हुए झब्बू लाल कहते हैं कि अब शायद वही देखेंगे, क्योंकि अब उनके अंदर न आगे लड़ने की क्षमता है और न ही हिम्मत बची है.
कोर्ट के फैसले से गांव वालों में निराशा
निठारी गांव के ही रहने वाले अशोक बीते 17 साल से उस दिन का इंतजार कर रहे थे, जब उनके पांच साल के बच्चे की हत्या करने वाले आरोपियों को फांसी मिलेगी, लेकिन कल जब उन्हें अचानक इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय का पता चला तो वो बेहद निराश हो गए. घर के पास ही मार्केट में जूते-चप्पल की दुकान चलाने वाले अशोक का कहना है कि इंसाफ की उम्मीद अब धूमिल होती दिख रही है.
सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता है, लेकिन उन्हें अब भरोसा नहीं रहा. उनका बच्चा साढ़े पांच साल का था, जब एक दिन अचानक गायब हो गया. इनके बच्चे के अवशेष के डीएनए टेस्ट तक नहीं हुए और न कभी इनको कुछ पता ही चल सका. आज पंढेर और कोली की रिहाई से पूरा परिवार हताश है.
स्थानीय लोगों में भी चर्चा और निराशा का माहौल
निठारी में रहने वाले मोहम्मद हाशिम 2006 में तेरह साल के थे. जब उनके सामने इस हत्याकांड का खुलासा हुआ और कंकाल बरामद हुए. इनका कहना है कि शुक्रवार का दिन था और इन्होंने अपनी आंखों से सारा मंजर देखा. आज किसी अपराध के लिए आरोपियों के घर बुलडोजर से ढाह कर इंसाफ किया जा रहा है. ऐसे में इन दो आरोपियों को कोर्ट से बरी कैसे होने दिया जा सकता है. इनका कहना है कि जो भी जरूरी कार्रवाई है, वो सरकार को करनी चाहिए और इंसाफ की लड़ाई को आगे बढ़ाना चाहिए. जिनके बच्चों की निर्मम हत्याएं हुईं, उनको इंसाफ मिलना चाहिए
खंडहर में तब्दील हुआ मकान, लोग भूतिया भी बताते हैं
नोएडा सेक्टर-31 के निठारी गांव में आज मोनिंदर सिंह पंढेर का मकान D-5 खंडहर में तब्दील हो चुका है और ऊपर जंगल उग चुके हैं, लेकिन आज भी ये मकान लोगों को 17 साल पहले के दिल को दहला देने वाली घटना की याद दिलाता है. कुछ लोग इसे भूतिया भी कहते हैं और इनका मानना है कि जितनी भी हत्याएं हुईं, उनकी आत्मा आज भी भटकती है.
मकान का बैकयार्ड, जहां बरामद हुए थे कंकाल
मकान के पिछले हिस्से में आज भी 17 साल पहले हुई छानबीन के अवशेष दिख जाते हैं. जमीन खोद कर भी कई कंकाल निकाले गए थे. आज भी मलबे का ढेर यहां दिख जाते हैं. हालांकि अब इस मकान में कोई रहता नहीं है, लेकिन मकान का बैकयार्ड आज भी खौफनाक दृश्य की याद दिलाता है. जब डेढ़ दर्जन मानव कंकाल यहां से बरामद किए गए.