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स्मृति इरानी के क्षेत्र अमेठी में लोग पैंट व पैजामा उतार कर चलने को हुए मजबुर

राजनीतिक गतविधियों के चलते सुर्खियों में रहने वाला अमेठी जिला जहां पर रहने वाले लोग पिछले पन्द्रह वर्षों से विभिन्न विधायक सांसद व सरकार के विकास के दावों की पोल खोलते रहते हैं ।

आपको बात दे उत्तर प्रदेश का अमेठी जिला शुरू से ही कांग्रेस पार्टी के गढ़ का रूप में जाना जाता हैं। यहां से पिछले पंद्रह वर्षों तक लगातार सांसद राहुल गांधी हुआ करते थे। उससे पहले भी नेहरू गांधी विरासत के रूप में ही जाना जाता था। किन्तु ये अब बीजेपी के गढ़ में परिवर्तित हो गया है।

जी हां हम बात कर रहे हैं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र अमेठी जिले की इस लोकसभा क्षेत्र में 5 विधान सभा सीटें आती हैं। जिसमें पांच सिंटो पर भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक विराजमान हैं।

वहीं इस बीजेपी गढ़ में अपने काम की बदौलत पहचान बनाने वाले तेज तरार सदर सीट से समाज वादी पार्टी के मात्र एक विधायक राकेश प्रताप सिंह की विधानसभा क्षेत्र अथवा यूं कहें कि उनके गांव से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव ऐसा भी हैं। जहां पर आवागमन की बड़ी समस्या हैं। आपको बता दे यह गांव तुलसी पुर ग्राम सभा का एक मजरा पूरे रम्मा सकुल का पुरवा होते हुए भगवान दुबे का पुरवा तक जाता है यह दो गांव को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग हैं। जो अभी तक चक मार्ग बना हुआ है। इस गांव में रहने वाले लोगो को साल भर में लगभग 6 महीने घर से पजामा या पैंट उतार कर ही मुख्य मार्ग तक पहुंचना होता हैं। क्योंकि पूरे रास्ते में इस कदर जल भराव रहता है की इसमें गाड़ी क्या कोई पैदल भी आसानी से नहीं निकल पाता । बता दे की इस गांव के लोग अपने घर तक साईकिल और बाइक भी नहीं ले जा पाते हैं वह बगल गांव में ही दूसरे के घरों में खड़े कर ओर पैंट उतार अपने कंधे पर रख कर जाया करते है।

बड़ी समस्या तो प्रतिदिन काम काज के लिए बाहर जाने वालो की हैं तथा स्कूल के समय पर स्कूली बच्चों को होती है । वहीं कई बार ऐसा हुआ है कि गांव में जब किसी की तबीयत खराब हुई है तो एम्बुलेंस को काल करने पर एम्बुलेंस आती तो है लेकिन रास्ते का नजारा देख वो हाईवे पर ही खड़ी हो जाती हैं । ऐसे में मरीज को चारपाई पर लाद कर एम्बुलेंस तक पहुंचते हैं ग्रामीण ।

वहीं ग्रामीणों का कहना हैं की यहां पर वोट मांगने के लिए सभी पार्टियां समय पर पहुंच जाती हैं और बड़े – बड़े वादे कर के चली जाती हैं। ग्रामीणों ने कहा रास्ते को लेकर ग्राम प्रधान, विधायक से लेकर अधिकारियों एवम सांसद तक से गुहार लगाई गई लेकिन आज तक ये रास्ता नहीं बन पाया।

यहां परेशान हुए ग्रामीणों ने तो अब यह मन बना लिया है की वह अब किसी भी चुनाव में किसी भी पार्टी को वोट नहीं देंगे।