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गरीब बच्चो के जन्मदिन पर होता है उत्स्व, इस सरकारी स्कूल में गुरु जी कटवाते हैं केक

Gajiyabad Government School : उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में एक सरकारी स्कूल से प्रेरणा देने वाली खबर आई है. यहां सैदपुर तहसील के कन्हईपुर गांव के प्राथमिक स्कूल में तैनात शिक्षक अपने खर्चे पर बच्चों का जनमदिन मनाते हैं. इस दौरान वह स्कूल में जश्न का आयोजन करते हैं और हर महीने के आखिर में उस महीने में पैदा हुए बच्चों से केक कटवाकर स्कूल के सभी बच्चों को मिठाई बांटते हैं. इसी क्रम में मंगलवार को भी उन्होंने स्कूल में जन्मदिन पार्टी आयोजित किया था, जिसमें कुल एक दर्जन से अधिक बच्चों का जन्मदिन मनाया गया.

टीचर अवनीश यादव के मुताबिक प्राथमिक स्कूलों में आम तौर पर गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ने आते हैं. इनमें से कुछेक बच्चों का ही जन्मदिन उनके घरों पर मनाया जाता है. इसलिए उन्होंने तय किया कि अब वह हर महीने अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का जन्मदिन मनाएंगे. उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम स्कूल की छुट्टी होने पर वह स्कूल के सभी बच्चों और टीचर को इकट्ठा कर बच्चों को बर्थडे गर्ल और बर्थडे बॉय बनाते हैं और उनसे केक कटवा कर मिठाई खिलाते हैं.

उन्होंने बताया कि जब संपन्न परिवारों के बच्चे अपना जन्मदिन मनाते हैं तो उन्हें देखकर कुछ बच्चों के मन में कुंठा पैदा हो जाती है. वह सोचने लग जाते हैं कि काश उनके भी परिवार वाले जन्मदिन मनाते. ऐसी ही बात एक बच्चे ने उन्हें बताई थी. तभी उन्होंने तय कर लिया कि और बच्चों का जन्मदिन मनाने लगे. इससे बच्चों का पढ़ाई में मन भी लगने लगा है. उन्होंने बताया कि यह सिलसिला साल 2021 से हर महीने बदस्तूर जारी है. स्थानीय लोगों के मुताबिक यहां पढ़ने वाले छात्र छत्राओं का जन्मदिन मनाने की तैयारी टीचर खुद करते हैं और पारंपरिक तरीके से सारा आयोजन किया जाता है.

हमेशा की तरह मंगलवार को भी आयोजन हुआ. इसमें बच्चों के लिए केक रखा गया और सब के सर पर बर्थडे वाली टोपी भी नजर आ रही थी. इसके बाद टीचरों ने एक-एक कर सभी बच्चों की आरती उतारी और फिर सभी टीचरों ने मिलकर बच्चों के साथ केक कटवाया और हैप्पी बर्थडे टू यू बोलते हुए सभी को बधाई दी. विद्यालय के प्रधानाचार्य अवनीश यादव ने बताया कि 2 अक्टूबर 2021 को महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर वह बच्चों से बात कर रहे थे. इसी दौरान बच्चों ने उन्हें बताया कि वह जन्मदिन नहीं मनाते. तब से उन्होंने स्कूल में यह परंपरा शुरू कर दी.

 

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