उत्तर प्रदेश के देवरिया विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव का विगुल बज चुका है. यह उपचुनाव सभी सियासी दलों के लिए 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में खुद को आंकने का अवसर होगा. देवरिया जिले की सदर सीट होने वाले इस उपचुनाव में पहली बार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने-सामने हैं. लिहाजा जीत किसी भी पार्टी की हो 29 साल बाद कोई न कोई ब्राह्मण उम्मीदवार ही विधायक बनेगा.
चारों प्रमुख पार्टियों ने उतारे ब्राह्मण उम्मीदवार
देवरिया सदर विधानसभा उपचुनाव के राजनीत में पहला मौका है जब सभी चारों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने अपना प्रत्याशी ब्राह्मण यानी त्रिपाठी को चुना हैं. देवरिया सदर सीट ब्राह्मण बाहुल्य मानी जाती है. इस सीट पर 29 साल बाद कोई ब्राह्मण उम्मीदवार चुनाव जीत दर्ज करेगा इस सदर सीट से 1989 में ब्राम्हण उम्मीदवार राम छबीला मिश्रा जनता दल से चुनाव जीते थे. जिसके बाद से अभी तक कोई भी ब्राह्मण प्रत्याशी इस सीट से चुनाव नहीं जीता है.
29 साल बाद किसी ब्राह्मण की जीत तय
देवरिया के उपचुनाव में 29 साल बाद चारों प्रमुख पार्टियां ने एक साथ चार ब्राह्मण उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारा है. यह देवरिया के राजनीत में पहला मौका है जब चार ब्राह्मण उम्मीदवार आमने सामने चुनाव के मैदान में उतरे है. समाजवादी पार्टी ने इस बार ब्रह्माशंकर त्रिपाठी तो भारतीय जनता पार्टी ने डा. सत्यप्रकाश मणि त्रिपाठी को चुनावी समर मे उतारा है. कांग्रेस ने मुकुन्द भाष्कर मणिल त्रिपाठी को चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार बनाया है तो वहीं बसपा ने भी सदर सीट पर अभयनाथ त्रिपाठी को उतारा है.
इतने ब्राह्मण मतदाता
देवरिया सदर विधानसभा सीट ब्राह्मण बाहुल्य है, लिहाजा कोई राजनीतिक दल जनेऊधारियों से नाराजगी नहीं मोल लेना चाहता था. इसी वजह से सभी राजनीतिक पार्टियों ने ब्राह्मण उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है. एक आकड़े के मुताबित देवरिया सदर विधानसभा क्षेत्र में साढ़े तीन लाख से अधिक मतदाता ,है जहां 50-55 हजार ब्राह्मण मतदाता है. जिसको लुभाने के लिये सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा ने यह दाव खेला है.