लखनऊ : अखिलेश यादव ने मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के साथ तल्खियों को पीछे छोड़कर सीट बंटवारे का ऑफर दिया है। 2 दिन पहले दिल्ली में हुई संगठन बैठक में अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस को यूपी में हैसियत के हिसाब से सीट देंगे। शर्त रखी कि जहां भी कांग्रेस का बड़ा चेहरा होगा या क्षेत्रीय समीकरण उनके पक्ष में होगा। उसी को टिकट दिया जाएगा।
अखिलेश के इस बयान के बाद कांग्रेस की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है। इससे साफ है कि INDIA गठबंधन की सीटों को लेकर कोई विवाद नहीं होगा। संकेत है कि NDA गठबंधन के सहयोगी दल BJP से पिछले चुनाव के मुकाबले दोगुनी लोकसभा सीट चाहते हैं।
सुभासपा और निषाद पार्टी पूर्वांचल में चाहती है सीट
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी चंदौली‚ गाजीपुर‚ घोसी सीटों पर दावेदारी पेश कर रही है लेकिन हाल ही में हुए घोसी सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार दारा सिंह चौहान के हारने से पार्टी की विश्वसनीयता में कमी आई है। यूपी से अभी तक सुभासपा का कोई भी सदस्य लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाया है। वहीं निषाद पार्टी और भाजपा के गठबंधन के बाद यह पहला लोकसभा चुनाव है। लेकिन पिछले दिनों हुए चुनावों में निषाद पार्टी का काफी अच्छा प्रदर्शन रहा। इस लिहाज से पूर्वांचल की कुछ सीटें मिलने की उम्मीद है।
आरएलडी की पश्चिमी यूपी में 12 सीट पर तैयारी
किसान और जाट की पॉलिटिक्स करने वाली राष्ट्रीय लोक दल पश्चिम उत्तर प्रदेश की 12 सीटों पर तैयारी कर रही है। लेकिन जयंत चौधरी 5 सीटों पर पूरी तरीके से लोकसभा चुनाव में उतरने पर फोकस कर चुके हैं। इसमें प्रमुख रूप से बागपत, मथुरा, मुजफ्फरनगर, मेरठ और गाजियाबाद लोकसभा सीट है।
आरएलडी के सूत्रों ने कहा कि पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी ने इन निर्वाचन क्षेत्रों में जमीनी स्थिति का आकलन करने के लिए वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ताओं को तैनात करने का फैसला किया है। फिलहाल रालोद कम से कम 12 लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। सूत्रों ने मुताबिक कि पार्टी सीट बंटवारे के व्यापक मसौदे पर निर्णय लेने में सपा को छूट देते हुए अपनी रणनीति को नया रूप दे रही है। पांच सीटों में से, आरएलडी ने 2019 के चुनावों में मुजफ्फरनगर, बागपत और मथुरा पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सभी हार गई थी।